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News
स्टॉक सीमा हटने से चीनी के दाम बढऩे के आसार
Date:
21 Dec 2017
Source:
Business Standard
Reporter:
दिलीप कुमार झा
News ID:
27793
Pdf:
Nlink:
उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में कुछ चीनी मिलों की मंद बिक्री में लगातार गिरावट आने और स्टॉक रखने की सीमा हटाए जाने के बाद सटोरियों की ताजा खरीद से लघु अवधि में चीनी के दामों में मजबूती आने के आसार हैं। सरकार ने मंगलवार को चीनी की स्टॉक रखने की सीमा को हटा लिया। स्टॉक की इस सीमा से व्यापारियों का पूर्वोत्तर में 1,000 टन से अधिक और देश के बाकी हिस्सों में 500 टन से अधिक स्टॉक रखना अवरुद्ध हो गया था। इस स्टॉक सीमा में यह प्रावधान भी किया गया कि व्यापारियों को अपना स्टॉक 30 दिनों के अंदर बेचना होगा। इस प्रतिबंध से स्टॉक खत्म होने लगा था। अब व्यापारी और सटोरिये कितनी भी मात्रा में चीनी खरीद सकते हैं और उसका स्टॉक रख सकते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि यह सीमा हटाए जाने के बाद करीब 15 लाख टन की ताजा खरीद व्यवस्था में आएगी। ऑल इंडिया शुगर ट्रेडर्स एसोसिएशन के चेयरमैन प्रफुल्ल वि_ïलानी ने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनावों की वजह से स्टॉक रखने की सीमा हटाए जाने में देर हो गई। चुनाव परिणाम के बाद सरकार ने तुरंत स्टॉक रखने की सीमा को हटा दिया। अब व्यापारी, सटोरिये और थोक उपभोक्ता जितना चाहें, उतना भंडारण कर सकते हैं। इससे चीनी की कीमतों में गिरावट तुरंत रुक जाएगी और अगले साल की पहली तिमाही में कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हो जाएगी।
2018-19 में जोरदार उपज की संभावना और 2017-18 के चीनी सीजन में अधिशेष उत्पादन के अनुमान से लगातार दबाव के कारण बेंचमार्क चीनी के दाम चालू पेराई सीजन - अक्टूबर 2017 की शुरुआत के बाद से 15 प्रतिशत तक गिरकर 3,150 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए थे। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने 2017-18 के सीजन में 2.51 करोड़ टन चीनी उत्पादन का पूर्वानुमान लगाया था, लेकिन कुछ व्यापारियों ने इसे 2.9-3 करोड़ टन पर रखा था। चीनी सीजन 2016-17 में चीनी मिलों ने 2.03 करोड़ टन उत्पादन की सूचना दी है।
मंद बिक्री की वजह से भी इस जिंस पर दबाव था। महाराट्र और उत्तर प्रदेश में वित्तीय परेशानी झेल रहीं कुछ मिलों ने अपना स्टॉक बेच दिया था, जिसके परिणाम स्वरूप दामों में तेज गिरावट आई। चीनी के दामों में संभावित सुधार चीनी मिलों को दोबारा लाभ की स्थिति में ला सकता है। इनमें से ज्यादातर मिलों ने 3,150-3,300 रुपये प्रति क्विंटल की आमदनी की तुलना में 3,700 रुपये प्रति क्विंटल की उच्च उत्पादन लागत के कारण नुकसान झेला। अगर मौजूदा कीमत स्तर बना रहता है, तो इससे देश भर की चीनी मिलों को नुकसान होगा और गन्ना किसानों के बकाये को बढ़ा देगा।
इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि चीनी सीजन 2018-19 में उत्पादन के विशिष्टï आंकड़े दर्शाने वाली कुछ शुरुआती अटकलबाजी ने नवंबर के आखिर और दिसंबर के शुरुआत में बाजार पर नकारात्मक असर डाला था। खरीद में रुचि बढऩे और व्यापारियों पर से स्टॉक रखने की सीमा हटाए जाने से बाजार को खरीद में बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसका बाजार की धारणा और बिक्री पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसमें पहले ही एक स्थिर प्रभाव है।
इस्मा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी बाजार को अब अहसास होने लगा है कि चीनी सीजन 2018-19 के लिए केवल 10-15 प्रतिशत गन्ने की ही रोपाई की गई है और आगामी सीजन के लिए कुछ लोगों द्वारा बताए गए आंकड़े भ्रामक हैं। इससे भी कीमतों को प्रोत्साहन मिलेगा। इस बीच, चीनी सीजन 2017-18 के लिए जताया गया उत्पादन का पूर्वानुमान 2.5 करोड़ टन वार्षिक खपत के अनुमान से कुछ अधिक रहा। उपलब्धता या अधिशेष 40 लाख टन रहने की संभावना थी। फिलहाल, 1 अक्टूबर से 15 दिसंबर, 2017 के बीच परिचालित 469 मिलों का कुल चीनी उत्पादन 69.4 लाख टन रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 449 चीनी मिलों ने 53.5 लाख टन उत्पादन किया था।
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