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चीनी और शीरे के दाम ठन्डे पड़ने से मिलों पर बढ़ा दबाव
Date: 09 Dec 2017
Source: Business Standard
Reporter: दिलीप कुमार झा
News ID: 27758
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चालू पेराई सीजन यानी 2017-18 के चीनी वर्ष (औपचारिक तौर पर 1 अक्टूबर से शुरू) के दौरान चीनी मिलों के राजस्व और लाभ पर दबाव रहने की आशंका है। 2016-17 के सीजन में दामों में मामूली सुधार हुआ था। गन्ने के अधिक उत्पादन के अनुमान की वजह से इसके उत्पादों के दामों में तेज गिरावट आई है। 2014-15 और 2015-16 का सीजन फायदे के नजरिये से खराब रहा। 2016-17 में चीजों में सुधार आया। कम चीनी उत्पादन के अनुमान के बाद कई बड़ी मिलों के शुद्ध लाभ में वृद्धि नजर आई। चीनी और शीरे के दामों में तेज बढ़ोतरी हुई और ये क्रमश: 36-37 रुपये प्रति किलोग्राम और 8,800 रुपये प्रति टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गए। बाद में दोनों की कीमतों में गिरावट आई, लेकिन मुख्य रूप से औसत आमदनी चीनी उत्पादन की लागत से अधिक रही।
 
हालांकि, चीनी और शीरे दोनों के दामों में गिरावट से इस साल का परिदृश्य एक बार फिर मिलों के खिलाफ हो गया है। महाराष्ट्र फेडरेशन ऑफ कॉपरेटिव शुगर फैक्टरीज के पूर्व प्रबंध निदेशक संजीव बाबर ने कहा कि मौजूदा कीमतों पर मिलें इस साल घाटा उठाने वाली हैं। सरकार पांच करोड़ किसानों को जोखिम में डाल कर 1.2 अरब उपभोक्ताओं के बारे में सोच रही है। लेकिन अगर एक बार ये किसान गन्ना उत्पादन बंद कर दें तो चीनी की भारी कमी हो जाएगी और आयात पर निर्भरता बढ़ जाएगी। सरकार को गन्ना किसानों केहितों की रक्षा करनी चाहिए।
 
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के आंकड़ों के मुताबिक इस सीजन में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन की औसत लागत क्रमश: 37 रुपये प्रति किलोग्राम और 34 रुपये प्रति किलोग्राम है। हालांकि उत्तर प्रदेश में मिलों से बाहर चीनी की आमदनी 34 रुपये प्रति किलोग्राम और महाराष्ट्र में 32 रुपये प्रति किलोग्राम है। इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि 2016-17 के दौरान उत्तर प्रदेश में मिलों से बाहर औसत मूल्य 36.5 रुपये प्रति किलोग्राम और महाराष्ट्र में 35.4 रुपये प्रति किलोग्राम था। मुंबई की एक मिल के वित्त प्रमुख ने कहा कि पिछले महीने देश भर में चीनी के दाम तीन रुपये प्रति किलोग्राम गिरे हैं। मिलों के कारोबार में चीनी का योगदान करीब 75 फीसदी रहता है और इस्मा का कहना है कि यह खंड पैसा गंवा रहा है। जहां तक शीरे की बात है तो उत्तर प्रदेश में दाम गिरकर 900 रुपये प्रति टन और महाराष्ट्र में 2,200 रुपये प्रति टन पर आ गए हैं।
 
पिछले वर्ष यह 8,300 रुपये प्रति टन थे। डिस्टिलरीज का कहना है कि आने वाले हफ्तों में दाम और गिरेंगे। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि चीनी और शीरे दोनों की कीमतें निम्न स्तर पर आ गई लगती हैं, लेकिन पिछले साल के 2.03 करोड़ टन के मुकाबले इस साल चीनी उत्पादन बढ़कर 2.51 करोड़ टन होने के पूर्वानुमान से कीमत में अनुमानित सुधार अपर्याप्त रहेगा।
 
  

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