•  
  • Welcome Guest!
  • |
  • Members Log In Close Panel
  •  
Home
 
  • Home
  • About us
  • Ethanol
  • Cogeneration
  • Environmental
  • Statistics
  • Distillery
  • Sugar Price
  • Sugar Process
  • Contact us

News


रॉ शुगर निर्यात के लिए मिल सकता है नया मार्केट
Date: 10 Oct 2013
Source: Business Bhaskar
Reporter: Reuters
News ID: 2616
Pdf:
Nlink:

अवसर -  एशिया व अफ्रीका में रॉ शुगर रिफाइनिंग क्षमता दोगुनी होगी

अफ्रीका और एशिया में अभी भी रिफाइनिंग की अच्छी क्षमता मौजूद है। इसमें और बढ़ोतरी हो रही है। तेजी से आबादी बढऩे, उभरते मिडिल क्लास और गांवों से शहरों की ओर लोगों के माइग्रेशन से आइसक्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड की मांग बढ़ेगी। इससे चीनी की खपत भी बढ़ेगी। - बिसारा रोचा, अर्थशास्त्री, इंटरनेशनल शुगर ऑर्गनाइजेशन

ग्लोबल आउटलुक
एशिया व अफ्रीका में रिफाइनिंग क्षमता बढ़कर 100 लाख टन होगी
इस समय इस क्षेत्र में रिफाइनिंग क्षमता 56 लाख टन सालाना
भारतीय मिलों से 30 लाख टन रॉ शुगर का निर्यात होने की गुंजाइश

रॉ शुगर के निर्यात से मिलों को स्टॉक घटाने में मदद मिलेगी

एशिया और अफ्रीका में चीनी की रिफाइनिंग क्षमता में बढ़ोतरी होने के कारण भारत से रॉ शुगर के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। मौजूदा दौर में घरेलू चीनी मिलें भारी स्टॉक और कमजोर मांग की समस्या से जूझ रही हैं।

उद्योग से जुड़े के अधिकारियों के मुताबिक आने वाले कुछ वर्षों में श्रीलंका, इराक, यमन, मिस्र और बहरीन जैसे देशों में रॉ शुगर की रिफाइनिंग करके व्हाइट शुगर बनाने की क्षमता बढ़कर लगभग दोगुनी हो सकती है। इस समय इन देशों की रिफाइनिंग क्षमता 56 लाख टन सालाना की है।

इन दोनों क्षेत्रों में बढ़ती मांग को भुनाने के लिए भारतीय मिलें 30 लाख टन रॉ शुगर का निर्यात कर सकती हैं। इस समय वे बहुत थोड़ी मात्रा में रॉ शुगर का निर्यात करती हैं।

इंटरनेशनल शुगर ऑर्गनाइजेशन से जुड़े अर्थशास्त्री बिसारा रोचा ने कहा कि अफ्रीका और एशिया में अभी भी रिफाइनिंग की अच्छी क्षमता मौजूद है। इसमें और बढ़ोतरी हो रही है। इससे अगले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र की कुल रिफाइनिंग क्षमता 100 लाख टन तक पहुंच सकती है।

व्यापार व उद्योग के अधिकारियों के मुताबिक तेजी से आबादी बढऩे, उभरते मिडिल क्लास और गांवों से शहरों की ओर लोगों के माइग्रेशन से आइस क्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड की मांग बढ़ेगी।

इसके चलता एशिया और अफ्रीका में चीनी की मांग बढ़कर 350-400 लाख टन तक पहुंच सकती है। जब दूसरे क्षेत्रों में चीनी की मांग स्थिर हो गई है, वहीं एशिया व अफ्रीका में मांग हर साल दो-तीन फीसदी तक बढऩे के आसार हैं।
एशिया और अफ्रीका में गन्ने का उत्पादन मांग के मुकाबले कम बढ़ रहा है।

इस वजह से शुगर रिफाइनरियां लग रही हैं। इस कमी की भरपाई रॉ शुगर की रिफाइनिंग के जरिये होगी। रिफाइनरियां रॉ शुगर या अन रिफाइंड शुगर आयात करती हैं और उनकी प्रोसेसिंग करके व्हाइट शुगर बनाती हैं।

रिफाइनिंग पर 60 से 90 डॉलर प्रति टन लागत आती है। रिफाइनिंग करने के बाद मिलें प्रीमियम कमाने में सफल हो जाती हैं। दुबई में अल खलीज शुगर और सऊदी अरब में सवोला ग्रुप ने सबसे बड़े इस अवसर को पहचाना और रिफाइनरियां स्थापित कर लीं। अब दूसरी कंपनियां यही कर रही हैं।

भारत में पिछले कुछ वर्षों से चीनी का उत्पादन बढ़ रहा है। अक्टूबर से शुरू हुए नए मार्केटिंग सीजन 2013-14 के दौरान लगातार चौथे साल उत्पादन बढऩे के आसार हैं। मिलों के पास करीब 80 लाख टन चीनी का स्टॉक जमा हो चुका हैं। भारतीय मिलें एशिया व अफ्रीका की इस मांग पूरा करने के लिए रॉ शुगर का उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रही हैं।

रॉ शुगर का ज्यादा उत्पादन होने से देश में व्हाइट शुगर का उत्पादन सीमित हो जाएगा। इससे मिलों को स्टॉक घटाने में भी मदद मिलेगी। भारतीय मिलें न्यूयॉर्क रॉ शुगर फ्यूचर के जरिये निर्यात कर रही हैं। चूंकि रिफाइनिंग में मार्जिन घट रहा है, ऐसे में रॉ शुगर निर्यात करना ज्यादा फायदेमंद हैं।

रॉ शुगर के मुकाबले व्हाइट शुगर का प्रीमियम घटकर 85-88 डॉलर प्रति टन रह गया। अगस्त में यह प्रीमियम 121 डॉलर प्रति टन था। न्यूयॉर्क में रॉ शुगर वायदा तीन साल के निचले स्तर 15.93 सेंट प्रति पाउंड पर रह गया था। अब भाव 18.59 सेंट प्रति पाउंड के करीब हैं।

 
  

Navigation

  • TV Interviews
  • Application Form For Associate Membership
  • Terms & Conditions (Associate Member)
  • ISMA President
  • Org. Structure
  • Associate Members(Regional Association)
  • Who Could be Member?
  • ISMA Committee
  • Past Presidents
  • New Developments
  • Publications
  • Acts & Orders
  • Landmark Cases
  • Forthcoming Events




Indian Sugar Mills Association (ISMA) © 2010 Privacy policy
Legal Terms & Disclaimer
 Maintained by