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अतिरिक्त खाद्यान्न से इथेनॉल बनाने की मिलेगी इजाज़त !
Date: 23 Nov 2017
Source: Economic Times
Reporter: ET Bureau
News ID: 25775
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जिस साल खाद्यान्न की पैदावार जरूरत से ज्यादा होगी, उस साल सरप्लस प्रॉडक्शन का इस्तेमाल पेट्रोल में मिक्स करने के लिए एथनॉल बनाने में किया जा सकता है। राष्ट्रीय बायोफ्यूल्स नीति के मसौदे के मुताबिक, सरकार ने बायोफ्यूल के उत्पादन के लिए रॉ मैटीरियल की उपलब्धता बढ़ाने के मकसद से यह प्लान बनाया है। ऑयल मिनिस्ट्री की बनाई इस ड्राफ्ट पॉलिसी में 2030 तक पेट्रोल के साथ 20 पर्सेंट तक एथनॉल और डीजल में 5 पर्सेंट बायोडीजल की ब्लेंडिंग करने का प्रस्ताव दिया गया है। अभी पेट्रोल में 2 पर्सेंट और डीजल में 0.5% से भी कम एथनॉल मिलाया जाता है।

बायोफ्यूल की मसौदा पॉलिसी पर चर्चा के लिए आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि बायोफ्यूल का इस्तेमाल तेजी से बढ़ाने से ऑयल इंपोर्ट बिल घटाने और जॉब जेनरेशन में बढ़ोतरी करने, स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने और पर्यावरण प्रदूषण घटाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बायोफ्यूल स्टेकहोल्डर्स जब तक चाहें, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को उनकी मदद करनी चाहिए क्योंकि यह बायोफ्यूल इंडस्ट्री के विकास और उसको मजबूत बनाने के लिए बहुत जरूरी है।

ड्राफ्ट पॉलिसी के मुताबिक, 'पॉलिसी में खाने लायक नहीं रह गए नुक्स वाले गेहूं, टूटे चावल वगैरह से एथनॉल बनाने की इजाजत दी जाएगी। पॉलिसी के तहत जिस साल मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर के अनुमान के हिसाब से अनाज की अतिरिक्त पैदावार होगी उस फसल वर्ष में सरप्लस खाद्यान्न को एथनॉल में बदलने की इजाजत होगी।' खाद्यान्न से एथनॉल बनाने की इजाजत होने से खाद्यान्न आधारित डिस्टिलरी की स्थापित क्षमता का इस्तेमाल तो बढ़ेगा, साथ ही इसके दायरे में वैसे सभी एथनॉल प्रोड्यूसिंग रॉ मैटीरियल्स आ जाएंगे जिनसे कम से कम निवेश से 1जी टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
अभी ब्लेंडिंग के लिए एथनॉल शुगर इंडस्ट्री के बाय-प्रॉडक्ट शीरे से मिलता है। लगभग 35 करोड़ टन गन्ना और 2.6-2.8 करोड़ टन शुगर प्रॉडक्शन को देखते हुए मैक्सिमम 1.3 करोड़ टन शीरा मिल सकता है। इतने शीरे से 300 करोड़ लीटर एल्कोहॉल या एथनॉल तैयार किया जा सकता है। कनवर्जन के लिए 10 लाख टन शुगर का इस्तेमाल किया जाए तो इससे 60 करोड़ लीटर एथनॉल तैयार किया जा सकता है। ड्राफ्ट पॉलिसी के मुताबिक, 'शीरे से एथनॉल प्रॉडक्शन की अपनी सीमाएं हैं और शराब और केमिकल इंडस्ट्री में इसका इस्तेमाल वित्तीय रूप से ज्यादा फायदेमंद होता है। इससे एथनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम को बढ़ावा देने की गुंजाइश बहुत कम बचती है।'
 
ड्राफ्ट पॉलिसी के मुताबिक देश में हर साल 12 से 16 करोड़ टन सरप्लस बायोमास उपलब्ध होता है जिसको अगर कनवर्ट किया जाए तो हर साल 3000 करोड़ लीटर एथनॉल मिल सकता है। बायोफ्यूल के इंपोर्ट को हतोत्साहित किया जाएगा और घरेलू मांग पूरी होने के बाद ही उसके एक्सपोर्ट की इजाजत दी जाएगी।
 
  

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