उद्योग ने सरकार से ब्याज मुक्त कर्ज सुलभ कराने की मांग की राहत बनाम आफत - चीनी सस्ती रहने से आम उपभोक्ताओं को महंगाई से कुछ राहत मिल सकती है लेकिन चीनी मिलों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। गन्ने का खरीद मूल्य बढऩे से उनकी लागत मिल रही है। विश्व बाजार में भाव कम होने से निर्यात से भी कोई राहत मिलने वाली नहीं है। 240 लाख टन उत्पादन का अनुमान 80 लाख टन बकाया स्टॉक सितंबर के अंत में 320 लाख टन चीनी सुलभ होगी अगले साल 225 लाख टन चीनी की घरेलू खपत का अनुमान पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले नए पेराई सीजन में भी उद्योग को चीनी के सस्ते भाव से जूझना होगा। उद्योग संगठन का कहना है कि चीनी की कुल उपलब्धता ज्यादा रहने से भाव में सुधार होने की उम्मीद नहीं है। इससे चीनी उद्योग की मुश्किलें कम होने वाली नहीं हैं।
नए सीजन के शुरू में चीनी का बकाया स्टॉक करीब 80 लाख टन बचेगा जबकि नए पेराई सीजन 2013-14 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान चीनी का उत्पादन लगभग 240 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है। चीनी की सालाना घरेलू खपत 220-225 लाख टन रहती है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चालू सीजन में मानसूनी वर्षा अच्छी हुई है इसलिए गन्ने की उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी।
जुलाई में आरंभिक अनुमान में नए सीजन में चीनी का उत्पादन 237 लाख टन होने का अनुमान लगाया था लेकिन अगस्त महीने में हुई बारिश से उत्पादन पूर्व अनुमान से ज्यादा होगा।
चीनी का बकाया स्टॉक भी करीब 80 लाख टन बचेगा। ऐसे में चीनी की कुल उपलब्धता 320 लाख टन के करीब होगी जबकि सालाना खपत 220-225 लाख टन की होती है। ऐसे में अक्टूबर से शुरू होने वाले नए पेराई सीजन में भी चीनी की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है।
अबिनाश वर्मा ने बताया कि चालू सीजन में चीनी के भाव लागत से भी कम होने के कारण मिलों को भारी घाटा हुआ है इसीलिए मिलों पर अभी भी किसानों का बकाया बचा हुआ है।
उत्तर प्रदेश में बैंकों ने चीनी मिलों को ऋण देना भी बंद कर दिया है। उन्होंने बताया कि बजट में चीनी उद्योग के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसलिए हमने किसानों के बकाया भुगतान के लिए सरकार से बैंकों से ऋण दिलाने की मांग की है।
हमनें बैंकों से लिए जाने वाले ऋण के लिए चार साल के ब्याज के बराबर सरकार से वित्तीय राहत की भी मांग उठाई है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर अभी भी गन्ना किसानों का करीब 2,800 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है।
एसएनबी इंटरप्राइजेज के प्रबंधक सुधीर भालोटिया ने बताया कि चालू सीजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में भी बढ़ोतरी करेगी।
इससे मिलों को गन्ने की खरीद महंगे दाम पर करनी पड़ेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की उपलब्धता को देखते हुए निर्यात की संभावना भी कम ही है। इसका असर घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों पर पड़ेगा। उत्तर प्रदेश में इस समय चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव 2,975-3,050 रुपये और दिल्ली में थोक भाव 3,150 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।
नए विपणन सीजन 2013-14 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 210 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में गन्ने की बुवाई 48.74 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 50.06 लाख हैक्टेयर में हुई थी।