चीनी के आयात के मुकाबले निर्यात सौदे शुरू अहम बदलाव - रुपये के मुकाबले डॉलर में आई भारी मजबूती से चीनी के आयात पड़ते समाप्त हो गए है और बन गई है निर्यात की संभावना निर्यात सौदे - चालू सप्ताह में तकरीबन 2 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हो चुके हैं थमेगी गिरावट - इससे चीनी की कीमतों में लगातार आ रही गिरावट थमने की उम्मीद रुपये के मुकाबले डॉलर में आई भारी मजबूती ने चीनी का गणित बदल दिया है। चीनी का आयात कर रहे आयातकों ने अब निर्यात करना शुरू कर दिया है। चालू सप्ताह में तकरीबन 2 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हो चुके हैं। इससे चीनी की कीमतों में लगातार आ रही गिरावट थमने की उम्मीद जरूर बनी है। हालांकि, उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर अब भी गन्ना किसानों का 2,851.24 करोड़ रुपये बकाया है।
एसएनबी एंटरप्राइजेज के प्रबंधक सुधीर भालोठिया ने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर में आई भारी मजबूती से चीनी के आयात पड़ते समाप्त हो गए है तथा निर्यात की संभावना बन गई है।
चालू सप्ताह में करीब 2 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे 505-520 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं। बंदरगाह नजदीक होने के कारण ये निर्यात सौदे महाराष्ट्र और कर्नाटक से ही हुए हैं। चालू पेराई सीजन में 9 लाख टन रॉ-शुगर का आयात हुआ है जिनमें से 3 लाख टन चीनी की खपत घरेलू बाजार में होगी और 6 लाख टन का निर्यात करना होगा।
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन के सचिव श्याम लाल गुप्ता ने बताया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक से चीनी के निर्यात सौदे हो रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश से इसकी संभावना नहीं है।
राज्य में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,050 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं, जबकि बंदरगाह तक परिवहन लागत करीब 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की बैठेगी। चीनी के निर्यात सौदे होने से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी की संभावना तो नहीं है, लेकिन कीमतों में चल रही गिरावट रुक जाएगी।
उन्होंने बताया कि चीनी के दाम लागत से नीचे होने के कारण अब भी राज्य की मिलों पर किसानों का 2,831.24 करोड़ रुपये बकाया है। चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 30-31 रुपये प्रति किलो है, जबकि लागत 35 रुपये प्रति किलो के करीब आई है। चीनी मिलों को हुए घाटे के कारण सरकारी बैंकों ने राज्य के चीनी उद्योग को निगेटिव लिस्ट में डाल दिया है। इसलिए मिलों ने राज्य सरकार से 2,400 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त लोन तीन साल के लिए देने की मांग की है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी एम सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को किसानों के बकाया भुगतान के लिए हाई कोर्ट ने 4 जुलाई को छह सप्ताह का समय दिया था, लेकिन छह सप्ताह बीत जाने के बाद भी मिलों ने भुगतान नहीं किया हैं। इस केस की अगली सुनवाई शुक्रवार यानी 23 अगस्त को होनी है।