किसानों को गन्ने का बकाया भुगतान करने के लिए मिलों को चीनी की बिक्री लागत से भी कम दाम पर करनी पड़ रही है। महाराष्ट्र की कई सहकारी चीनी मिलों ने हाल ही में करीब 70,000 टन चीनी के निर्यात सौदे 2,830 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किए है जबकि चालू पेराई सीजन 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) में लागत करीब 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर आई है।
गोदावरी बायो रिफाइनरीज लिमिटेड के सलाहकार जी. के. सूद ने बताया कि घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता मांग के मुकाबले ज्यादा है जबकि मिलों पर किसानों के बकाया भुगतान का दबाव बना हुआ है। इसीलिए चीनी मिलें लागत से भी कम दाम पर चीनी बेचने को मजबूर हैं।
हाल ही में महाराष्ट्र की कई सहकारी चीनी मिलों ने 70,000 टन चीनी की बिक्री 2,830 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की है जबकि चालू पेराई सीजन में राज्य की मिलों को लागत करीब 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा की आई है।
एसएनबी इंटरप्राइजेज के प्रबंधक सुधीर भालोठिया ने बताया कि जून महीने में खाड़ी देशों की रमजान के त्यौहार की मांग निकलने से विश्व बाजार में व्हाइट चीनी की कीमतें बढ़कर 520 डॉलर प्रति टन हो गई थी लेकिन खाड़ी देशों की मांग कम होते ही दाम फिर घटकर 499 डॉलर प्रति टन रह गए हैं। कीमतों में आई गिरावट से निर्यात पड़ते भी समाप्त हो गए हैं।
उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 253 लाख टन का हुआ है जबकि सालाना घरेलू खपत करीब 230 लाख टन की है। नए पेराई सीजन के समय करीब 63 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव 3,050 से 3,100 रुपये और दिल्ली में भाव 3,200 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।
चीनी के थोक कारोबारी पी आर गर्ग ने बताया कि आगामी दिनों में त्यौहारी मांग से घरेलू बाजार में चीनी कीमतों में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने की संभावना है। हालांकि विश्व बाजार में चीनी की मौजूदा कीमतों में तेजी की संभावना कम है।
उन्होंने बताया कि अभी तक करीब 15 लाख टन चीनी का आयात हुआ है जिसमें से 6 लाख टन आयातित चीनी की खपत घरेलू बाजार में हुई है। हालांकि चालू खरीफ सीजन में गन्ने की बुवाई में कमी आई है लेकिन उत्पादन और आयात को मिलाकर अक्टूबर 2013 से शुरू होने वाले नए पेराई सीजन में चीनी का बकाया स्टॉक ज्यादा होगा।