•  
  • Welcome Guest!
  • |
  • Members Log In Close Panel
  •  
Home
 
  • Home
  • About us
  • Ethanol
  • Cogeneration
  • Environmental
  • Statistics
  • Distillery
  • Sugar Price
  • Sugar Process
  • Contact us

News


गन्ना कीमत पर मिलों और कोल्हुओं में जंग
Date: 05 Oct 2017
Source: Business Standard
Reporter: Dilip Kumar Jha
News ID: 22748
Pdf:
Nlink:
पिछले पूरे वर्ष कमाई में अच्छी तेजी से उत्साहित गुड़ उत्पादक इकाइयां (कोल्हू) इस सीजन में गन्ना खरीद के लिए चीनी मिलों के साथ कीमत युद्घ में कूदने की तैयारी में दिख रही हैं। गन्ने के लिए प्रतिस्पर्धी कीमतों का परिदृश्य भारत के दो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में मिलों द्वारा इस साल पेराई की जल्द शुरुआत की घोषणा के बाद पैदा हुआ है। चीनी मिलों की इस पहल का मकसद गन्ने की उस शुरुआती किस्म को आकर्षित करना है जिसे सामान्य तौर पर कोल्हुओं के लिए आपूर्ति की जाती है। 
 
गुड़ उत्पादकों ने शुरुआती गन्ने के साथ अपना परिचालन सितंबर में शुरू कर दिया। इस गन्ने के लिए किसानों को परिपक्व किस्म के गन्ने की तुलना में कम मूल्य मिलता है। इसलिए इस किस्म के गन्ने की पेराई चीनी मिलों के लिए गैर-लाभकारी होती है। हालांकि सामान्य परिचालन शिड्ïयूल के विपरीत चीनी मिलों ने उत्पादन बढ़ाने के लिए इस साल अक्टूबर के शुरू में पेराई शुरू करने की घोषणा की है जो उनकी सामान्य समय-सीमा से कम से कम दो सप्ताह पहले है। 
 
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में गुड़ उत्पादकों और व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था फेडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने कहा, 'पेराई की जल्द शुरुआत से चीनी मिलें इस सीजन के गन्ना खरीद के लिए गुड़ निर्माता इकाइयों के साथ कीमत युद्घ में शामिल हो रही हैं। पिछले साल गुड़ की अच्छी कीमतों ने कोल्हुओं को वित्तीय रूप से मजबूत बनाया था जिससे वे चीनी मिलों द्वारा चुकाई जाने वाली गन्ना कीमतों का आराम से सामना कर सकते हैं। चूंकि गुड़ उत्पादक गन्ना खरीद की मात्रा अपनी जरूरत के हिसाब से तय करते हैं, जल्द निर्णय लेते हैं और कोई नियामकीय भय नहीं होने से उन्हें अपनी रणनीति तुरंत बदलने में मदद मिलती है। 
 
कोल्हू अपनी जरूरत के हिसाब से गन्ना खरीदते हैं और कीमतें बढऩे की उम्मीद में वे कभी कभी इसका स्टॉक भी कर लेते हैं। हालांकि इसके विपरीत चीनी मिलों को गन्ना खरीदने को बाध्य होना पड़ता है जिससे उन्हें कीमतों में उतार-चढ़ाव की चिंता किए बगैर ही कच्चे माल के तेज और निरंतर प्रवाह का सामना करना पड़ता है। पिछले वर्षों के विपरीत इस बार गुड़ उत्पादक गन्ना खरीद के लिए किसानों को ऊंची कीमतें चुकाने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।' 
 
दिलचस्प तथ्य यह है कि इस बार मुनाफा गुड़ उत्पादकों के पक्ष में दिख रहा है। गन्ने की नई किस्म के साथ औसत प्राप्ति पूरे भारत में 2-4 प्रतिशत तक बढऩे का अनुमान है। उत्तर प्रदेश के हापुड़ में भारत की सबसे बड़ी गुड़ कारोबार कंपनियों में से एक दुर्गादास नारायणदास के प्रॉपराइटर पीयूष बंसल ने कहा, 'यही वजह है कि गुड़ उत्पादकों को गन्ने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित 'राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) के समान कीमतें चुकाने में समस्या नहीं होगी। एसएपी केंद्र द्वारा निर्धारित उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की तुलना में ज्यादा बना हुआ है।' उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गन्ने के लिए अपना एसएपी घोषित किया जाना अभी बाकी है।
 
चीनी मिलों से मुकाबला करने के लिए गुड़ उत्पादकों ने गन्ना किसानों को भरोसेमंद और समय पर भुगतान के साथ प्रचार भी शुरू किया है। कोल्हुओं ने उत्पादन बढ़ाने के लिए तेजी से परिचालन शुरू कर दिया है। कोल्हुओं ने इस साल अपनी उत्पादन क्षमता में औसत 25 फीसदी तक का इजाफा किया है। गुड़ की कीमतें इस सीजन में अब तक काफी उतार-चढ़ाव दर्ज कर चुकी हैं। लगभग दो सप्ताह पहले 42-43 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंचने के बाद नए सीजन का गुड़ मुजफ्फरनगर और हापुड़ के थोक बाजार में मौजूदा समय में 34 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बिक रहा है। 

 

 
  

Navigation

  • TV Interviews
  • Application Form For Associate Membership
  • Terms & Conditions (Associate Member)
  • ISMA President
  • Org. Structure
  • Associate Members(Regional Association)
  • Who Could be Member?
  • ISMA Committee
  • Past Presidents
  • New Developments
  • Publications
  • Acts & Orders
  • Landmark Cases
  • Forthcoming Events




Indian Sugar Mills Association (ISMA) © 2010 Privacy policy
Legal Terms & Disclaimer
 Maintained by