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पिछले साल से कम रहेगा खाद्यान्न उत्पादन
Date: 26 Sep 2017
Source: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
Reporter: संजीव मुखर्जी
News ID: 22723
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देश में खरीफ बुआई सीजन 2017-18 में खाद्यान्न का उत्पादन करीब 13.46 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के चौथे अनुमान से 2.77 फीसदी कम है। हालांकि यह 2016-17 के पहले अनुमान से महज 0.26 फीसदी कम है। ]देश के कुछ हिस्सों में बारिश के असमान वितरण और सोयाबीन, दलहन और मोटे अनाज जैसी फसलों के रकबे में अन्य फसलों की बुआई से कुल उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम रह सकता है। हालांकि उत्पादन की असल तस्वीर आने वाले महीनों में तभी साफ होगी, जब उपज मंडियों में आनी शुरू हो जाएगी। पहला अनुमान रकबे के आधार पर मोटा आकलन होता है। 
 
सरकार ने आज जारी एक बयान में कहा, 'चालू खरीफ सीजन के दौरान ज्यादातर फसलों का अनुमानित उत्पादन पिछले पांच वर्षों के सामान्य उत्पादन की तुलना में अधिक रहने के आसार हैं। हालांकि ये प्रारंभिक अनुमान हैं, इसलिए राज्यों से आगे मिलने वाले फीडबैक के आधार पर इनमें संशोधन होगा।' दलहन के उत्पादन में कमी की स्थिति में कीमतों में भारी बढ़ोतरी होने के आसार नहीं हैं क्योंकि केंद्र के पास करीब 20 लाख टन का बफर स्टॉक है। वहीं तिलहनों के मामले में अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थितियां अनुकूल हैं। इससे कृषि की वृद्धि दर घटकर 2.5 फीसदी के आसपास आ सकती है, लेकिन रबी की कटाई के बाद अंतिम उत्पादन अनुमानों पर काफी कुछ निर्भर करेगा। कृषि जीडीपी वृद्धि ऊंचे आधार की वजह से भी घट सकती है। 
 
कपास का रकबा ज्यादा होने के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में कम बारिश के कारण इसका उत्पादन 2.47 फीसदी कम रहने का अनुमान है। हालांकि इसकी 2016-17 के पहले अनुमान से तुलना करते हैं तो यह गिरावट एक फीसदी से भी कम है। पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक खरीफ सीजन 2017-18 में दलहन का उत्पादन 87.1 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के चौथे अनुमान से 7.53 फीसदी कम है। लेकिन वर्ष 2016-17 के पहले अनुमान की तुलना में 1 फीसदी से भी कम है। तिलहनों के मामले में खरीफ का उत्पादन 2.06 करोड़ टन अनुमानित है, जो पिछले साल से 7.72 फीसदी कम है और 2016-17 के पहले अनुमान से 11.51 फीसदी कम है। 
 
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'यह गिरावट मुख्य रूप से तिलहन और दलहन के कम रकबे के आई है। लेकिन दूसरे और उसके बाद के अनुमानों में तस्वीर ज्यादा साफ होगी।' उन्होंने कहा कि अगर दलहन और तिलहन का उत्पादन घटता है तो कीमतों पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि सरकार के पास दालों का बफर स्टॉक है और खाद्य तेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार अनुकूल बना हुआ है। 
 
सबनवीस ने कहा, 'अगर भारत के खाद्य तेल आयात में बड़ा इजाफा हुआ तो आयात लागत में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी क्योंकि अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल बाजार अनुकूल बने हुए हैं।' उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) करीब 2.5 फीसदी रह सकता है, लेकिन अभी इसका अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी क्योंकि अभी रबी फसलों की बुआई शुरू नहीं हुई है। 
 
अग्रिम अनुमान से पता चलता है कि कपास का उत्पादन 3.22 करोड़ गांठ (एक में 170 किलोग्राम) रहने का अनुमान है, जबकि जूट का उत्पादन 103.2 लाख गांठ (एक गांठ में 180 किलोग्राम) रहने का अनुमान है। कपास का उत्पादन 2016-17 के चौथे अनुमान से 2.47 फीसदी कम रहने और उसी साल के पहले अनुमान से 0.46 फीसदी कम रहने का अनुमान है। पहले अनुमान के मुताबिक गन्ने का उत्पादन 2017-18 में 33.76 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के चौथे अनुमान से 10.09 फीसदी और उसी साल के पहले अनुमान से 10.63 फीसदी अधिक है।
 
  

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