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मंत्रालय ने ख़ारिज किया सुझाव नहीं चलेगी जूट बोरों पर कैंची
Date: 09 Sep 2017
Source: Business Standard Hindi
Reporter: जयजित दास
News ID: 22681
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केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय ने जूट आयुक्त के उस सुझाव को खारिज कर दिया है जिसमें 2017-18 में जूट के बोरों का इस्तेमाल कम करने की बात कही गई है। जूट आयुक्त ने चालू वित्त वर्ष में खाद्यान्नों की पैकेजिंग में जूट के बोरों के इस्तेमाल को मौजूदा 90 प्रतिशत से पांच प्रतिशत कम करते हुए 85 प्रतिशत करने की अनुशंसा की थी। इस मामले से जुड़े एक करीबी सूत्र ने कहा कि मंत्रालय की राय में जूट के बोरों के इस्तेमाल में कटौती करने से इस उद्योग में संकट के हालात पैदा हो जाएंगे और कच्चे जूट के दामों में आकस्मिक गिरावट आ जाएगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि कच्चे जूट की उपलब्धता पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है।

हाल के समय में यह पहला मौका है कि जब कपड़ा मंत्रालय के उच्चाधिकारियों ने अपने अधीनस्थ कार्यालय के सुझावों को खारिज किया है। इस वर्ष मई में जूट आयुक्त ने अपने सात सूत्री सुझाव में स्थायी सलाहकार समिति को 2023-24 तक जूट के बोरों में 50 प्रतिशत कमी करने का सुझाव दिया था। हालांकि, मंत्रालय ने जूट आयुक्त से असहमति जताई और कहा कि जूट उद्योग के बोरों के उत्पादन की वर्षों की प्रवृत्ति और प्रदर्शन तथा माल भराई करने वाली एजेंसियों की पसंद और कच्चे जूट के उत्पादन के मद्देनजर यह आरक्षण 90 प्रतिशत पर ही रहना चाहिए। इस विषय में जूट उपायुक्त दीपंकर महतो से उनका पक्ष जानने के लिए बात नही हो सकी।

 
जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम 1987 के तहत खाद्यान्नों और चीनी की पैकेजिंग के लिए जूट के बोरों का 100 प्रतिशत तक इस्तेमाल अनिवार्य है। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और भारतीय किसान संघ (बीकेएस) समेत ट्रेड यूनियनों और किसान संघों ने जूट के बोरों के स्थान पर प्लास्टिक के इस्तेमाल का जोरदार ढंग से विरोध किया है। जूट मिलों और किसानों की सर्वाधिक संख्या वाले पश्चिम बंगाल सरकार ने भी इस कदम का विरोध किया था।
 
उद्योग का अनुमान है कि गैर-लाभकारी प्रतिफल की वजह से करीब 5-6 प्रतिशत किसान पहले ही जूट की खेती बंद कर चुके हैं। 2015 में 665 ग्राम के बोरों की जगह 580 ग्राम के हल्के बोरों केे विनिर्माण के अचानक आए फैसले ने भी उद्योग को प्रभावित किया था। कच्चे जूट की मौजूदा गुणवत्ता हल्के बोरों के लिए उपयुक्त नहीं है। जूट आयुक्त के सुझाव को खारिज करने वाले मंत्रालय के अनुशंसात्मक ड्राफ्ट नोट को स्वीकृति के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के पास भेजा जा सकता है। संभावना जताई जा रही है कि अंतर-मंत्रिमंडलीय फैसला 15 सितंबर तक आ जाएगा। 
 
  

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