केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय ने जूट आयुक्त के उस सुझाव को खारिज कर दिया है जिसमें 2017-18 में जूट के बोरों का इस्तेमाल कम करने की बात कही गई है। जूट आयुक्त ने चालू वित्त वर्ष में खाद्यान्नों की पैकेजिंग में जूट के बोरों के इस्तेमाल को मौजूदा 90 प्रतिशत से पांच प्रतिशत कम करते हुए 85 प्रतिशत करने की अनुशंसा की थी। इस मामले से जुड़े एक करीबी सूत्र ने कहा कि मंत्रालय की राय में जूट के बोरों के इस्तेमाल में कटौती करने से इस उद्योग में संकट के हालात पैदा हो जाएंगे और कच्चे जूट के दामों में आकस्मिक गिरावट आ जाएगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि कच्चे जूट की उपलब्धता पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है।
हाल के समय में यह पहला मौका है कि जब कपड़ा मंत्रालय के उच्चाधिकारियों ने अपने अधीनस्थ कार्यालय के सुझावों को खारिज किया है। इस वर्ष मई में जूट आयुक्त ने अपने सात सूत्री सुझाव में स्थायी सलाहकार समिति को 2023-24 तक जूट के बोरों में 50 प्रतिशत कमी करने का सुझाव दिया था। हालांकि, मंत्रालय ने जूट आयुक्त से असहमति जताई और कहा कि जूट उद्योग के बोरों के उत्पादन की वर्षों की प्रवृत्ति और प्रदर्शन तथा माल भराई करने वाली एजेंसियों की पसंद और कच्चे जूट के उत्पादन के मद्देनजर यह आरक्षण 90 प्रतिशत पर ही रहना चाहिए। इस विषय में जूट उपायुक्त दीपंकर महतो से उनका पक्ष जानने के लिए बात नही हो सकी।