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रिकॉर्ड चीनी उत्पादन का अनुमान
Date: 06 Sep 2017
Source: Business Standard
Reporter: दिलीप कुमार झा
News ID: 22658
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उत्तर प्रदेश में उच्च उत्पादकता वाली गन्ने की किस्मों के रकबे में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिससे राज्य में पेराई सीजन 2017-18 में चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन होने के आसार हैं। इसके मद्देनजर चीनी मिलें अक्टूबर में ही परिचालन शुरू करेंगी। रेटिंग एजेंसी इक्रा के हाल के एक अध्ययन मे अनुमान जताया गया है कि चीनी वर्ष 2017-18 में उत्तर प्रदेश में 97 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा। ऑल इंडिया शुगर ट्रेडर्स एसोसिएशन (एआईएसटीए) के आंकड़े दर्शाते हैं कि उत्तर प्रदेश में चीनी वर्ष 2016-17 में उत्पादन 87 लाख टन रहा। इन आंकड़ों से यह संकेत भी मिलता है कि उत्तर प्रदेश में चीनी सीजन 2017-18 में चीनी का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 11.5 फीसदी अधिक रहेगा। 
 
अगले चीनी वर्ष में उत्तर प्रदेश में जितनी चीनी के उत्पादन का अनुमान है, वह राज्य की कुल खपत का करीब चार गुना है। हालांकि राज्य में अतिरिक्त उत्पादन से तमिलनाडु कर्नाटक, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में कमी की भरपाई करने में मददगार रहेगा। इक्रा के अध्ययन में कहा गया है, 'घरेलू चीनी उत्पादन चीनी वर्ष 2018 में 18 से 20 फीसदी बढ़कर 240 से 245 लाख टन रहने का अनुमान है, जिसमें इसमें अच्छे मॉनसून की बदौलत महाराष्ट्र एवं उत्तरी कर्नाटक में गन्ने की उपलब्धता सुधरने और उत्तर प्रदेश में करीब 97 लाख टन चीनी के रिकॉर्ड उत्पादन की अहम भूमिका रहेगी। हालांकि लगातार दो साल तक कम बारिश के कारण दक्षिण कर्नाटक और तमिलनाडु में चीनी का उत्पादन प्रभावित होने के आसार हैं।' 
 
उत्तर प्रदेश के किसानों ने कुछ साल पहले उच्च उत्पादकता वाली गन्ने की किस्म सीओ0238 अपनाई थी, जो उत्पादकता के मामले अचंभित करने वाले नतीजे दे रही है। परंपरागत किस्मों की तुलना में सीओ0238 किस्म की उत्पादकता बहुत अधिक है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस किस्म की उत्पादकता परंपरागत किस्मों की तुलना में 10 से 20 फीसदी अधिक है। 
 
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'इस साल फिर इस उच्च उत्पादकता वाली किस्म की बुआई ज्यादा हुई है। रकबे में मामूली बढ़ोतरी के बावजूद गन्ने के उत्पादन में  2017-18 में भारी बढ़ोतरी होने के आसार हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन निश्चित रूप से अगले साल नया रिकॉर्ड बनाएगा। हालांकि अभी चीनी उत्पादन के आंकड़े के बारे में कुछ कहना मुश्किल है।' रोचक बात यह है कि इस साल राज्य की बड़ी चीनी मिलों ने एक से दो सप्ताह पहले पेराई शुरू करने का फैसला किया है। ये मिलें अगेती किस्म के गन्ने को हासिल करना चाहती हैं, जो उनके पेराई चालू न करने पर गुड़ बनाने वाली इकाइयों (कोल्हू) और खांडसारी फैक्टरियों के पास चला जाता है। चीनी मिलें चालू न होने के कारण किसान, विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान अगेती किस्म के गन्ने की गुड़ एवं खांडसारी इकाइयों को आपूर्ति कर देते हैं। 
 
द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पूर्णकालिक निदेशक बी जे माहेश्वरी ने कहा, 'अब किसान यह मानने लगे हैं कि चीनी मिलों की वित्तीय दिक्कतें कम हो गई हैं। मिलों की वित्तीय स्थिति सुधरी है, जिससे गन्ना किसानों को समय पर भुगतान हो रहा है। इस साल ज्यादा गन्ने के उत्पादन का अनुमान है, इसलिए चीनी मिलें पेराई सीजन को एक महीने बढ़ा सकती हैं। इन सब कारकों की बदौलत उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचेगा।' इस साल गन्ने का रकबा मामूली बढ़त के साथ 23.3 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल 23 लाख हेक्टेयर था। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की उपलब्धता बढऩे से भारत का कुल चीनी उत्पादन पेराई सीजन 2017-18 में 250 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 203 लाख टन रहा था। 
 
  

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