चीनी सस्ती होने से किसानों को गन्ने का भुगतान करना कठिन : एनएफसीएसएफ उद्योग संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) ने घरेलू बाजार में चीनी के मूल्य में गिरावट थामने के लिए आयातित चीनी पर शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी करने की मांग की है। संगठन का कहना है कि चीनी सस्ती होने से मिलें किसानों को गन्ने का समय पर भुगतान नहीं कर पाएंगी।
एनएफसीएसएफके अध्यक्ष कल्लप बी अवाडे ने केंद्रीय खाद्य मंत्रालय को दिए ज्ञापन में कहा है कि वर्तमान में चीनी का आयात ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत किया जा रहा है और इस पर 10 फीसदी आयात शुल्क लागू है।
उन्होंने कहा कि चीनी का एक्स फैक्ट्री मूल्य में बढ़ोतरी के लिए रॉ शुगर और व्हाइट शुगर पर आयात शुल्क बढ़ाकर 30 फीसदी करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में व्यापारी 4.68 लाख टन चीनी आयात कर चुके हैं, जबकि देश में चीनी की सुलभता मांग से कहीं ज्यादा है।
पाकिस्तान से भी चीनी का आयात किया जा रहा है। जबकि मौजूदा मार्केटिंग वर्ष 2012-13 (सितंबर-अक्टूबर) के दौरान मांग से अधिक चीनी का उत्पादन होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 250 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की संभावना है जबकि मांग 225 लाख टन ही रह रह सकती है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा आयात को देखते हुए अगले पेराई सीजन के शुरू में देश में करीब 96.6 लाख टन चीनी का स्टॉक बचने का अनुमान है। अगसे मार्केटिंग वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही की 58 लाख टन संभावित खपत को निकालने के बाद भी देश में 38.6 लाख टन चीनी का स्टॉक बचने की संभावना है।
वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतें कम चल रही हैं, ऐसे में सरप्लस स्टॉक को निर्यात नहीं किया जा सकता। ऐसे में यदि चीनी आयात को कम आयात शुल्क पर जारी रखा जाता है तो घरेलू बाजार में चीनी के दाम और घट सकते हैं। इससे फैक्ट्री मालिकों को किसानों का भुगतान करना मुश्किल हो जाएगा। गन्ना किसानों का बकाया भुगतान विगत 15 मार्च तक 12600 करोड़ रुपये के पार निकल गया है।
उद्योग संगठन ने अतिरिक्त चीनी निर्यात करने के लिए मिलों को निर्यात सब्सिडी देने की भी मांग की है। इससे मिलें किसानों को बकाए का भुगतान कर सकेंगी। बता दें कि चीनी के एक्स-फैक्ट्री रेट अक्टूबर 2012 से गिरने लगे थे।
पिछले वर्ष अक्टूबर में चीनी का औसत मूल्य 3328.67 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अप्रैल में गिरकर 2925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। पिछल सात माह में चीनी के दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई है।