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इस बार गन्ना पेराई जल्द
Date: 31 Aug 2017
Source: Business Standard
Reporter: दिलीप कुमार झा
News ID: 22642
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उत्तर प्रदेश की बड़ी चीनी मिलों ने इस साल अक्टूबर से पेराई शुरू करने का फैसला किया है, जो पेराई के सामान्य समय से करीब एक महीने जल्द है। इसके पीछे मिलों का मकसद चीनी की आपूर्ति बढ़ाना और गुड़ एवं खांडसारी उद्योग को होने वाली गन्ने की आपूर्ति पर अंकुश लगाना है। उत्तर प्रदेश में आमतौर पर गन्ने की पेराई नवंबर के मध्य में शुरू होती है, जिसकी वजह खेतों में खड़ी खन्ने की फसल का देरी से पकना है। हालांकि पश्चिमी कर्नाटक और महाराष्ट्र में मिलें अक्टूबर के मध्य में ही गन्ने की अगेती किस्म की पेराई शुरू कर देती हैं। अगेती किस्मों को सीजन में सबसे ज्यादा उत्पादकता वाली माना जाता है। 
 
रोचक बात यह है कि इस उद्योग की शीर्ष संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने देशभर में अपनी सदस्य मिलों पर एक सर्वेक्षण किया है, जिसमें यह बात सामने आई है कि उत्तर प्रदेश में बड़ी चीनी मिलें इस बार एक महीने जल्द पेराई शुरू करेंगी। उद्योग का अनुमान है कि उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरे साल 2017-18 में गन्ने का भारी उत्पादन होगा। राज्य में 2016-17 के दौरान 82 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। 
 
इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु की बहुत सी चीनी मिलों ने हमें लिखित में दिया गया है कि वे इस साल अक्टूबर के मध्य तक पेराई शुरू कर देंगी। आम तौर पर उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें अक्टूबर में पेराई शुरू नहीं करती हैं, इसलिए अक्टूबर में पेराई शुरू होना उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के लिए नई चीज है। ऊपर जिन अग्रणी 4 राज्यों का जिक्र किया गया है, उनके द्वारा इस साल अक्टूबर में संयुक्त रूप से 8 लाख टन चीनी उत्पादित करने का अनुमान है।' अक्टूबर मे चीनी मिलें चालू होने का मिलों, सरकार और उपभोक्ताओं, सभी को फायदा मिलेगा। जल्द पेराई शुरू करने से मिलों, विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को गुड़ एवं खांडसारी इकाइयों को गन्ने की आपूर्ति कम करने में मदद मिलेगी। दरअसल चीनी मिलें जल्द चालू न होने के कारण किसान अपनी नकदी की जरूरत पूरी करने के लिए गुड़ एïवं खांडसारी उद्योग को अपना गन्ना बेच देते हैं। जल्दी पेराई शुरू करने से मिलों की जल्द आमदनी शुरू होगी। 
 
दूसरी वजह यह है कि सरकार ने चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस साल उत्पादन घटने की खबरों के कारण दो महीने पहले कीमतों में भारी तेजी आई थी। इस्मा का अनुमान है कि भारत में इस साल चीनी का उत्पादन 203 लाख टन रहेगा, जो पिछले साल 251 लाख टन था। इस साल 5 लाख टन चीनी के आयात को मंजूरी देने के बाद सरकार ने मंगलवार को मिलों पर स्टॉक सीमा लगा दी। वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) के अध्यक्ष बीबी थोंबरे ने कहा, 'महाराष्ट्र में 2017-18 में चीनी का उत्पादन 70 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 42 लाख टन और 2015-16 में 84 लाख टन था। तमिलनाडु और कर्नाटक में गन्ने का उत्पादन कम रहने का अनुमान है।' 
 
  

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