नई दिल्ली, चीनी उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश की बादशाहत लगातार दूसरे साल भी कायम रहेगी। गन्ना खेती का जहां रकबा बढ़ा है, वहीं चीनी की रिकवरी में वृद्धि होने से कुल उत्पादन में भी इजाफा होने का अनुमान है। उधर सूखे से हलकान महाराष्ट्र में गन्ना खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसका सीधा असर चीनी उत्पादन पर पड़ना तय है। चीनी उत्पादन के अनुमान के आंकड़े तो यही कहानी बयां कर रहे हैं।
मानसून की अच्छी बारिश, समय से बुवाई, अच्छी प्रजाति के बीज, चीनी की रिकवरी दर में शानदार वृद्धि, राज्य सरकार की ओर से मिले प्रोत्साहन, बकाया भुगतान और चीनी मिलों में आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग से चीनी के कुल उत्पादन में जबर्दस्त उछाल आने का अनुमान है। इसके विपरीत चीनी उत्पादन में पहले पायदान पर बना रहने वाला महाराष्ट्र पिछले साल की तरह इस साल भी नीचे खिसक गया है। उत्तर प्रदेश में चीनी का अब तक का सर्वाधिक उत्पादन होगा।
आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2017 में शुरू होने वाले पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश में एक सौ लाख टन चीनी का उत्पादन होगा। समय से अच्छी बारिश होने की वजह से राज्य में 12 फीसद तक गन्ना खेती का रकबा बढ़कर 47 लाख हेक्टेयर हो गया है। अच्छी प्रजाति के बीजों के अपनाने से राज्य में गन्ने की उत्पादकता बढ़ी और चीनी की रिकवरी दर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। चीनी मिलों में आधुनिक टेक्नोलॉजी के प्रयोग से भी रिकवरी दर बढ़ी है। इसके चलते राज्य में पिछले पेराई सीजन के दौरान चीनी का उत्पादन सर्वाधिक 87.50 लाख टन हुआ, जबकि महाराष्ट्र मात्र 42 लाख टन पर सिमट गया।
चीनी उद्योग के मुताबिक, प्रदेश में शामली, मुजफ्फरनगर और मेरठ जिलों में गन्ने की उत्पादकता शानदार रही है। करनाल गन्ना संस्थान की विकसित प्रजातियां राज्य के गन्ना किसानों के लिए वरदान साबित हुई हैं।
गन्ने की खेती के हिसाब से चीनी उत्पादन के ताजा आंकड़ों में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 95-100 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि महाराष्ट्र में 70 लाख टन चीनी का उत्पादन हो सकता है। देश में चीनी का कुल उत्पादन बढ़कर 240 से 250 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले पेराई सीजन के उत्पादन के मुकाबले 50 लाख टन अधिक होगा।