सरकार ने कहा- चीनी में लेवी सिस्टम हटने से उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा केंद्र सरकार का कहना है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी का सरप्लस स्टॉक मौजूद है, इस वजह से इसके मूल्य में कोई तेजी आने की संभावना नहीं है। चीनी मिलों से लेवी चीनी खरीदने का बाध्यता खत्म करने से फुटकर मूल्य पर कोई असर पडऩे की संभावना नहीं है।
केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मामलात मंत्री के. वी. थॉमस ने एक जवाब में राज्यसभा में बताया कि मांग से ज्यादा चीनी की उपलब्धता होने के कारण खुले बाजार में दाम स्थिर रहने की संभावना है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीब उपभोक्ताओं को वितरित करने के लिए सरकार मिलों से दस फीसदी चीनी लेवी सिस्टम के तहत सस्ते मूल्य पर खरीदती थी। पिछले माह सरकार ने लेवी सिस्टम खत्म करके मिलों से इस अनिवार्य खरीद से मुक्त कर दिया था। थॉमस से सवाल किया गया था कि क्या लेवी सिस्टम हटाने से उपभोक्ताओं के लिए खुले बाजार में चीनी के मूल्य बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख सी. रंगराजन की अगुवाई में गठित कमेटी ने चीनी उद्योग को डिकंट्रोल करने की सिफारिश की थी।
पहले सरकार खुले बाजार में चीनी बिक्री के मासिक कोटे में राहत दी थी। पिछले माह लेवी सिस्टम को भी हटा दिया गया। मिलों को खुले बाजार में चीनी बिक्री के लिए भी पूरी छूट दे दी गई है। थॉमस ने कहा कि लेवी सिस्टम हटने से खुले बाजार में चीनी के मूल्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पीडीएस में गरीबों को भी पूर्ववत 13.50 रुपये प्रति किलो पर चीनी मिलती रहेगी।
नई व्यवस्था के तहत राज्य अपने स्तर पर खुले बाजार से पारदर्शी प्रणाली के तहत चीनी की खरीद करेंगे और गरीबों को इसका वितरण किया जाएगा। राज्यों को ऊंचे मूल्य पर खरीदी जाने वाली चीनी की भरपाई के लिए केंद्र 18.3 रुपये प्रति किलो की दर से मदद देगी। राज्यों के चीनी आवंटन कोटा के आधार पर यह मुआवजा दिया जाएगा। इस व्यवस्था की दो साल बाद समीक्षा की जाएगी।