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उद्योग को डिकंट्रोल करने से चीनी नहीं होगी महंगी
Date: 11 Apr 2013
Source: Business Bhaskar
Reporter: R.S. Rana
News ID: 2180
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विश्वास - सरकार के अहम फैसले के बाद खाद्य राज्य मंत्री ने भरोसा जताया

डिकंट्रोल के फायदे - लेवी चीनी की बाध्यता खत्म होने से चीनी मिलों को सालाना करीब 3,000 करोड़ रुपये का फायदा होगा, जिससे किसानों का समय पर भुगतान करने में आसानी होगी। रिलीज मैकेनिज्म हटने से मिलों को खुले बाजार में चीनी बेचने की आजादी होगी और घरेलू बाजार में आपूर्ति सुगम रहेगी। इससे उपभोक्ताओं को वाजिब दाम पर चीनी मिल सकेगी। - के. वी. थॉमस, खाद्य राज्य मंत्री

चालू सीजन में भी चीनी का उत्पादन खपत के मुकाबले 23 लाख टन ज्यादा

केंद्र सरकार ने कहा है कि 80,000 करोड़ रुपये के चीनी उद्योग को आंशिक रूप से नियंत्रण मुक्त करने से चीनी की कीमतें नहीं बढ़ेंगी।

चालू पेराई सीजन 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) में चीनी का उत्पादन सालाना खपत से 23 लाख टन ज्यादा होने का अनुमान है। मिलों से लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त होने से बकाया भुगतान करने में आसानी होगी, जिसका सकारात्मक प्रभाव गन्ना उत्पादन पर पड़ेगा।

खाद्य एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चीनी उद्योग से लेवी की बाध्यता और रिलीज मैकेनिज्म समाप्त कर देने से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें नहीं बढ़ेंगी।

उन्होंने बताया कि लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने से चीनी मिलों को सालाना करीब 3,000 करोड़ रुपये का फायदा होगा, जिससे मिलों को किसानों का समय पर भुगतान करने में आसानी होगी।

रिलीज मैकेनिज्म हटने से चीनी मिलों को खुले बाजार में चीनी बेचने की आजादी होगी, जिससे घरेलू बाजार में चीनी की आपूर्ति सुगम रहेगी, इससे उपभोक्ताओं को वाजिब दाम पर चीनी मिल सकेगी।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकारें खुले बाजार से चीनी की खरीद करके सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन करेंगी। चीनी खरीद की प्रक्रिया निविदा से होगी। वर्तमान में चीनी का एक्स-फैक्ट्री भाव 32 रुपये प्रति किलो है तथा पीडीएस में इसका आवंटन 13.50 रुपये प्रति किलो की दर से किया जा रहा है, जिसमें वर्ष 2002 के बाद से कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

पीडीएस में सालाना करीब 27 लाख टन चीनी का आवंटन होता है तथा चीनी मिलों से अभी तक लेवी चीनी की खरीद 19.05 रुपये प्रति किलो की दर से की जा रही थी, जिससे करीब 2,556 करोड़ की सब्सिडी का भार पड़ रहा था।

लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त होने से करीब 3,100 करोड़ की अतिरिक्त सब्सिडी का भार पड़ेगा, जिसका वहन केंद्र सरकार करेगी। प्रो. के वी थॉमस ने बताया कि किसानों को समय पर गन्ने का भुगतान होने का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे किसान का रुझान गन्ने की फसल की तरफ बढ़ेगा और देश में चीनी उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

वर्ष 2011-12 में देश में चीनी का उत्पादन 263.50 लाख टन का हुआ था जोकि उसके पिछले साल के 243.50 लाख टन से 20 लाख टन ज्यादा था। चालू पेराई सीजन में 245 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है जबकि सालाना खपत करीब 222 लाख टन की होती है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 4 अप्रैल 2013 को चीनी उद्योग को आंशिक रूप से नियंत्रण मुक्त करने का फैसला किया था।

इससे घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में 40-50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव 3,350 से 3,420 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे लेकिन यह तेजी स्थिर नहीं रह पाई। बुधवार को दिल्ली में चीनी के थोक दाम घटकर 3,340 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

 
  

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