कृषि राज्य मंत्री तारिक अनवर ने कहा कि सरकार चीनी क्षेत्र के विनियंत्रण के मसले पर शीघ्र ही कोई उचित निर्णय लेगी। अनवर ने विश्व चुकंदर और गन्ना उत्पादकों के संघ (डब्लूएबीसीजी) के सम्मेलन में बताया कि चीनी उद्योग एकमात्र ऐसा सेक्टर है जिसमें सरकार का विपणन और बिक्री पर नियंत्रण है।
चीनी सेक्टर में आने वाली समस्याओं की जांच के लिए समय - समय पर समितियों का गठन हो चुका है। सरकार रंगराजन समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों की जांच कर रही है और इस क्षेत्र को कैसे बढावा मिले इस बारे में भी जल्द ही उचित निर्णय लेगी।
उन्होंने बताया कि चीनी उद्योग को बढावा देने के लिए अच्छी नीतियां की जरूरत हैं। यह सेक्टर कृषि के कुल सकल घरेलू उत्पादन में लगभग सात फीसदी का योगदान देता है। लगभग तीन करोड़ लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से इस क्षेत्र पर निर्भर हैं।
चीनी कीमतों के दो विनियमों को छोड़कर रंगराजन समिति ने सुझाव दिया की कंपनियां राजस्व का 70 फीसदी हिस्सा किसानों के साथ साझा करेगी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया की कम्पनियों को खुले बाजार में चीनी बेचने का अधिकार दिया जाए और एक स्थाई आयात व निर्यात नीति भी होनी चाहिए।
खाद्य मंत्रालय रंगराजन समिति की रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट में एक प्रस्ताव लेकर आया है। जिस पर आगामी आर्थिक मामलों की केन्द्रीय मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में चर्चा होने की संभावना है। अनवर ने बताया कि चीनी से सरकार का नियंत्रण हटाने से इस क्षेत्र की कार्यक्षमता में सुधार आएगा।
नई चीनी मीलों के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता को समाप्त करने (1998 की तरह) से इस उद्योग में ढांचागत पारदर्शिता लाने में भी मदद मिलेगी। भारत, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। विपणन वर्ष 2012-13 (अक्टूबर- सितम्बर) में देश में 245 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की उम्मीद है।