15,000 मेगावाट से ज्यादा कैपेसिटी वाले प्लांट्स की ज्यादा पावर टैरिफ की मांग पर सेक्टर रेगुलेटर जल्द फैसला कर सकता है। प्लांट्स ने कॉन्ट्रैक्टेड टैरिफ से ज्यादा प्राइस की मांग की है। इसका असर इस सेक्टर की दूसरी कंपनियों पर भी पड़ेगा। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (सीईआरसी) के टाटा पावर और अदानी ग्रुप की अपील पर जल्द फैसला देने की उम्मीद है। वह टाटा पावर के पिटीशन पर अगले हफ्ते सुनवाई करेगा। ये प्रोड्यूसर्स 1.20-2.96 रुपए प्रति यूनिट पर कॉन्ट्रैक्ट किए गए टैरिफ से ज्यादा की मांग कर रहे हैं। उधर, एस्सार और शापूरजी पालोनजी गु्रप ने गुजरात के साथ पावर सप्लाई के अपने कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ने की धमकी दी है। दूसरी तरफ स्टेट यूटिलिटीज अगले 25 साल के दौरान सस्ती सप्लाई के लिए कॉन्ट्रैक्ट लागू करने की मांग कर रही हैं। पावर प्लांटों ने ज्यादा टैरिफ की अपनी डिमांड के सपोर्ट में महंगे आयातित कोयले की दलील दी है। इंडस्ट्री एनालिस्ट्स के मुताबिक, इस मसले के जल्द हल होने के आसार नहीं हैं। कंसल्टिंग फर्म पीडब्ल्यूसी में पार्टनर एस महापात्रा ने कहा, 'टाटा पावर और अदानी पावर पिछले 18 महीने से ज्यादा टैरिफ के लिए कोशिश कर रही हैं। हालांकि, नियर फ्यूचर में इस प्रॉब्लम के हल होने के आसार नहीं दिखते, क्योंकि मामला एपेलेट और सुप्रीम कोर्ट में चला जाएगा।' उन्होंने कहा कि दो साल बाद कम से कम एक मामले में अंतिम फैसला आने के बाद ही पावर सेक्टर की दिशा तय हो सकेगी। महापात्रा ने कहा कि सेक्टर की ग्रोथ रुकी हुई है, क्योंकि इनवेस्टर्स ने एग्रेसिव बोली लगाकर एसेट्स हासिल किए थे। अब शायद ही कोई यूटिलिटी लॉन्ग-टर्म पावर सप्लाई के लिए प्रोड्यूसर के साथ समझौते की कोशिश कर रही है। रिलायंस पावर की कैपेसिटी 8,000 मेगावाट से ज्यादा है। उसने कृष्णापट्टनम और सासन प्रोजेक्ट्स पर 37,450 करोड़ रुपए इनवेस्ट किए हैं। उसने रेगुलेटर के पास दो पिटीशन फाइल की हैं। कंपनी उन 5 स्टेट यूटिलिटीज से ज्यादा टैरिफ की डिमांड कर रही है, जो इसके बन रहे अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट से पावर लेंगी। टाटा पावर मुंदरा में बन रहे इंपोर्टेड कोल फायर्ड 4000 मेगावाट के प्रोजेक्ट पर 17,000 करोड़ रुपए इनवेस्ट कर रही है। पास के कच्छ डिस्ट्रिक्ट में अदानी पावर गुजरात और हरियाणा की पावर यूटिलिटीज के साथ चल रही लड़ाई के नतीजे का इंतजार कर रही है। कंपनी ने 10,000 करोड़ रुपए के इनवेस्टमेंट से 2424 मेगावाट का इंपोर्टेड कोल फायर्ड प्लांट लगाया है। सासन प्रोजेक्ट को छोड़ दूसरे सभी प्रोजेक्ट्स आयातित कोयले पर निर्भर हैं।