केबिनेट कमेटी की बैठक में प्रस्ताव पर चर्चा करके फैसला किया जाएगा : थॉमस लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने पर फैसला अगले सप्ताह होने वाली केबिनेट कमेटी की बैठक में होने की संभावना है। चालू पेराई सीजन 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) में चीनी का उत्पादन 250 लाख टन होने का अनुमान है जो उद्योग के अनुमान 243 लाख टन से ज्यादा है।
खाद्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस ने सोमवार को दिल्ली में पत्रकारों को बताया कि इस समय लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने का मुख्य मुद्दा है।
इस पर फैसला अगले सप्ताह होने वाली केबिनेट कमेटी में बैठक में होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि चीनी में दूसरा मुद्दा चीनी बिक्री कोटे का है। इस पर मंत्रालय पहले ही चीनी मिलों को राहत दे चुका है। हर महीने जारी किए जाने वाले चीनी के कोटे का बढ़ाकर सरकार 4 महीने का कर चुकी है।
उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 250 लाख टन होने का अनुमान है। उधर इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने चालू पेराई सीजन में 243 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है। प्रो. के वी थॉमस ने बताया कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल को चालू बजट सत्र में ही संसद में पेश किए जाने की योजना है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन के लिए सालाना करीब 27 लाख टन चीनी की आवश्यकता होती है तथा वर्तमान में चीनी मिलों को कुल उत्पादन की 10 फीसदी चीनी लेवी में देना अनिवार्य है। पेराई सीजन 2011-12 में लेवी चीनी का खरीद मूल्य 19.04 रुपये प्रति किलो था जबकि पीडीएस में इसका वितरण 13.50 रुपये प्रति किलो की दर से किया जाता है।
मिलों से लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त कर देने से उद्योग को करीब 3,000 करोड़ रुपये का फायदा होगा। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष सी. रंगराजन की अगुवाई में गठित चीनी डिकंट्रोल पर विशेषज्ञ समिति ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने की सिफारिश की थी।