शुल्क में वृद्धि लेवी चीनी से पडऩे वाला भार कम करने के लिए खाद्य मंत्रालय ने उत्पात शुल्क में 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी का प्रस्ताव लेवी में सालाना 27 लाख टन चीनी की होती है खपत शुगर उद्योग को डीकंट्रोल का अहम टॉनिक देने के लिए केंद्र सरकार ने लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इससे केंद्र सरकार पर सब्सिडी का भार बढ़कर 5,676 करोड़ रुपये हो जायेगा।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन के लिए सरकार को चीनी की खरीद पर इस समय 2,556 करोड़ रुपये की सब्सिडी वहन करनी पड़ती है तथा लेवी की बाध्यता समाप्त होने के बाद केंद्र पर 3,120 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी का भार बढ़ जायेगा।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुगर उद्योग से लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है। प्रस्ताव के अनुसार लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने पर केंद्र सरकार पर 3,120 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी का भार पड़ेगा तथा केंद्र सरकार पर पीडीएस में चीनी का आवंटन करने के लिए कुल सब्सिडी बढ़कर 5,676 करोड़ रुपये हो जायेगी।
लेवी चीनी का मामला सब्सिडी से जुड़ा हुआ है इसलिए इस पर अंतिम फैसला आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) को करना है।
उन्होंने बताया कि पीडीएस में आवंटन के लिए सालाना करीब 27 लाख टन चीनी की आवश्यकता होती है तथा वर्तमान में चीनी मिलों को कुल उत्पादन की 10 फीसदी चीनी लेवी में देना अनिवार्य है।
पेराई सीजन 2011-12 में लेवी चीनी का खरीद मूल्य 19.04 रुपये प्रति किलो था जबकि पीडीएस में इसका वितरण 13.50 रुपये प्रति किलो की दर से किया जाता है। एक्स-फैक्ट्री चीनी की कीमतें 32 रुपये प्रति किलो के आंकलन के आधार पर 3,120 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी हो जायेगी।
उन्होंने बताया कि लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने के बाद सब्सिडी का भार केंद्र सरकार पर नहीं पड़े इसके लिए खाद्य मंत्रालय ने उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही शुगर डेवलपमेंट फंड से इसकी भरपाई करने की योजना बनाई है। उन्होंने बताया कि इस समय चीनी पर उत्पाद शुल्क 71 रुपये प्रति क्विंटल है इसमें 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है।
बढ़ोतरी के बाद चीनी पर उत्पाद शुल्क 221 रुपये प्रति क्विंटल हो जायेगा जबकि शुगर डेवलपमेंट फंड में भी सालाना लगभग 576 करोड़ रुपये आ रहा है।
चीनी मिलों को 24 रुपये प्रति क्विंटल के आधार पर शुगर डेवलपमेंट फंड देना पड़ता है। उन्होंने बताया कि चीनी के उत्पादन, उपलब्धता और कीमतों पर निगरानी रखने के लिए सरकार ने अंतर मंत्रालय समूह का गठन भी किया है।