पेट्रोल के बाद अब चीनी जल्द ही डेढ़ से दो रुपये प्रति किलो महंगी होने जा रही है। सरकार चीनी डी कंट्रोल करने से पहले इस पर लगे एक्साइज ड्यूटी को 98 पैसे प्रति किलो से बढ़कर करीब 2.50 रुपये प्रति किलो करने जा रही है। इस प्रस्ताव पर पीएमओ और वित्त मंत्रालय ने मुहर लगा दी है। इसकी घोषणा जल्द ही होने की संभावना है। ऐसा होने पर चीनी के दाम में कंपनियां दो रुपये तक की बढ़ोतरी कर सकती हैं। एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का सबब : सरकार दरअसल चीनी को डी कंट्रोल करने जा रही है। इसका मतलब यह हुआ है कि कंपनियां ही अब चीनी की कीमत तय करेंगी। मगर इसके बाद कंपनियां सरकार को लेवी चीनी के रूप में सस्ते दर पर अपने कुल उत्पादन का दस प्रतिशत चीनी भी नहीं देगी। कंपनियों से सस्ती दर पर चीनी खरीदकर सरकार गरीबों को राशन की दुकानों के जरिए सस्ते दामों पर चीनी देती है। जब कंपनियों से सस्ते दर पर सरकार को लेवी चीनी नहीं मिलेगी तो उसको मार्केट रेट पर चीनी खरीदनी पड़ेगी। मगर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत उसे सस्ते दर पर गरीबों को चीनी देनी ही होगी। इससे सरकार पर जो अतिरिक्त भार पड़ेगा, उसे खत्म करने के लिए सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में इतना अधिक इजाफा करने का फैसला किया है। खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी का कहना है कि अगर एक्साइज ड्यूटी नहीं बढ़ाई गई तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बेचे जानी वाली चीनी पर सब्सिडी का भार बढ़ जाएगा। सरकार यह भार उठाने की स्थिति में नहीं है। पवार का तर्क : कृषि मंत्री पवार का कहना है कि खाद्य मंत्रालय ने लेवी चीनी प्रणाली को खत्म करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सब्सिडी शुदा चीनी की आपूर्ति जारी रखने का प्रस्ताव किया है। फिलहाल सरकार चीनी मिलों से 17 रुपये प्रति किलो की दर पर चीनी खरीदती है और 13.50 रुपये प्रति किलो पर बेचती है। लेवी प्रणाली खत्म होने पर सरकार को खुले बाजार से चीनी खरीदनी होगी। उन्होंने कहा, वित्तीय बोझ कम करने और सब्सिडी वाली चीनी की आपूर्ति जारी रखने के लिए खाद्य मंत्रालय ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का प्रस्ताव किया है।। हमने प्रस्ताव का समर्थन किया है। गौरतलब है कि केंद्र को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सालाना 27 लाख टन चीनी की जरूरत होती है।