4लेवी चीनी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी
4मिलें खुले बाजार में चीनी बेचने के लिए स्वतंत्र होंगी
4खुले बाजार से चीनी खरीद कर राशन दुकानों पर बांटने की योजना
4सरकारी खजाने पर तीन हजार करोड़ का बोझ पड़ेगा
4राज्य व केंद्र सरकारों को सब्सिडी का भार वहन करना होगा
4आयात निर्यात नीति को स्थिर बनाने का प्रावधानजागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को पूरी तरह नियंत्रणमुक्त करने की तैयारी कर ली है। खाद्य मंत्रलय के इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की अगली बैठक में फैसला होने की संभावना है। इससे जहां चीनी उद्योग को भारी राहत मिलेगी, वहीं महंगाई को पलीता लग सकता है। रंगराजन समिति की सिफारिशों के आधार पर चीनी उद्योग पर लगे सभी प्रतिबंधों को हटा लेने का मन बना लिया गया है। खाद्य मंत्री केवी थामस ने शुक्रवार को एक समारोह में कहा कि चीनी उद्योग को अगले एक पखवाड़े में नियंत्रणमुक्त कर दिया जाएगा। इस बारे में कैबिनेट का मसौदा लगभग तैयार हो गया है।
इसके तहत एक ओर चीनी मिलों से वसूली जाने वाली 10 फीसद की लेवी प्रणाली समाप्त हो जाएगी। वहीं, दूसरी ओर खुले बाजार में चीनी की बिक्री की छूट मिल जाएगी। फिलहाल सभी मिलों को सरकार के आदेश पर ही निर्धारित मात्र में चीनी की खुली बिक्री करने की छूट है। चालू चीनी वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में पर्याप्त चीनी है। चीनी उद्योग को नियंत्रणमुक्त करने के लिए प्रमुख मंत्रलयों से गंभीर मंत्रणा कर ली गई है। कैबिनेट नोट पर जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की मुहर लगवाने की कोशिश की जाएगी। चीनी उद्योग को नियंत्रणमुक्त करने के लिए राज्यों से भी राय मांगी गई थी। अब तक 10 राज्यों ने अपनी रिपोर्ट भेज दी है। हैरानी इस बात की है कि चीनी के दोनों बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश ने अपनी राय नहीं भेजी है। चीनी मिलों को अपने कुल उत्पादन की 10 फीसद चीनी राशन प्रणाली के लिए रियायती दर पर देनी पड़ती है। वर्तमान में यह चीनी लगभग 20 रुपये किलो की दर से खरीदी जाती है, जबकि राशन की दुकानों से यही चीनी 13.50 रुपये प्रति किलो की रियायती दर पर बेची जाती है। नियंत्रणमुक्त होने की दशा में चीनी उद्योग को सालाना 3000 करोड़ रुपये का सीधा फायदा होने का अनुमान है। संभावना इस बात की भी है कि कैबिनेट नोट में चीनी के आयात व निर्यात को भी स्थिर बनाने पर जोर दिया गया है, ताकि घरेलू चीनी बाजार मंदी की चपेट में न आए।