गन्ना महंगा होने के बावजूद चीनी भले ही लागत से कम भाव पर बिक रही हो लेकिन खुदरा बाजार में गुड़ की कीमतें चीनी से भी ज्यादा हैं। कारोबारियों का कहना है कि गन्ने की महंगाई से गुड़ बीते साल से भी ज्यादा भाव पर बिक रहा है। हालांकि थोक बाजार में गुड़ अब भी चीनी से करीब 10 फीसदी सस्ता है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में बारिश का अनुमान लगाया है। ऐसा हुआ तो गुड़ का उत्पादन प्रभावित होने से इसके दाम और चढ़ सकते हैं, जिससे गुड़ व चीनी की थोक कीमत के बीच अंतर और कम हो जाएगा। दिल्ली के खुदरा बाजार में गुड़ का भाव 40 रुपये है,जबकि चीनी का भाव 37-38 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहा है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक लखनऊ में गुड़ 43 रुपये व चीनी 38 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है। इसी तरह मुंबई में गुड़ का भाव 47 रुपये और चीनी 38 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव बिक रही है। थोक की बात करें तो दिल्ली के थोक बाजार में गुड़ की कीमत 2800-3,000 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि चीनी का भाव 3,250 से 3,400 रुपये क्विंटल है। पिछले साल इस समय थोक में गुड़ की कीमत 2700 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल थी। एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी मुजफ्फरनगर के गुड़ कारोबारी संघ के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल कहते हैं कि 7-8 साल पहले गुड़ वालों को गन्ना चीनी मिल के मुकाबले आधी कीमत पर मिलता था लेकिन अब मिलों के बराबर कीमत पर मिल रहा है। जिससे गुड़ और चीनी की कीमतों में अंतर काफी कम रह गया है। खंडेलवाल कहते हैं कि परिवहन, कर समेत अन्य खर्चे बढऩे से इसका खुदरा भाव चीनी के खुदरा भाव से ज्यादा हो गया है। चीनी भले ही उत्पादन लागत से कम भाव पर बिक रही हो लेकिन गुड़ का भाव लागत से काफी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि चीनी में सुस्ती के चलते बाजार में अनिश्चतता का माहौल है, जिससे वायदा में हेजिंग नहीं हो रही है, वरना थोक में भी गुड़ चीनी से महंगा हो सकता था। कारोबारी सुधीर भालोटिया कहते हैं कि चीनी की उपलब्धता बढऩे से इसके दाम उत्पादन लागत से कम चल रहे हैं। दिल्ली के थोक गुड़ कारोबारी देशराज कुमार ने बताया कि लागत में इजाफा होने से गुड़ पिछले साल से 150-200 रुपये प्रति क्विंटल महंगा है। खंडेलवाल के मुताबिक अगले कुछ दिनों में बारिश होती है तो गुड़ व चीनी के थोक भाव के बीच अंतर घट सकता है। देशराज भी मानते हैं कि मौसम खराब होने पर गुड़ और महंगा होगा। मुजफ्फरनगर मंडी में गुड़ का स्टॉक करीब 3.50 लाख कट्टा (40 किलोग्राम) है, जो पिछले साल के मुकाबले 1 लाख कट्टा ज्यादा है। स्टॉक कम होने की वजह गुड़ निर्माताओं द्वारा मध्य प्रदेश का रुख करना माना जा रहा है।