अगले मार्केटिंग सीजन 2013-14 (अक्टूबर-नवंबर) के दौरान देश में चीनी का उत्पादन घरेलू उत्पादन से भी कम रह सकता है। पिछले चार साल में पहली बार देश में चीनी का उत्पादन खपत से भी कम रहने का अनुमान है। एक स्थानीय ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म के अधिकारी के अनुसार पानी की कमी के कारण गन्ने का रकबा घटने की संभावना है। भारत में खपत के मुकाबले कम उत्पादन होने की स्थिति में वैश्विक बाजार में चीनी के दाम बढ़ सकते हैं क्योंकि घरेलू मांग पूरी करने के लिए भारत रॉ शुगर की खरीद करने लगेगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उपभोक्ता देश है। इस फर्म के अधिकारी ने अपना नाम छापने की शर्त पर कहा कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में किसान गन्ना छोड़कर दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। भारत में गन्ने के दाम तो आकर्षक हैं लेकिन इसकी खेती के लिए पानी उपलब्ध नहीं है। उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में चालू सीजन 2012-13 के दौरान कुल 122 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की संभावना है। इस तरह अगले सितंबर में खत्म हो रहे मौजूदा सीजन में इन तीन राज्यों में आधे से ज्यादा उत्पादन होगा। देश में इस साल करीब 243 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है। जबकि देश में करीब 230 लाख टन चीनी की खपत रहने की संभावना है। डीलरों का कहना है कि एक अक्टूबर को अगले सीजन की शुरूआत में बकाया स्टॉक पर्याप्त रखने के लिए आयात करने की जरूरत पड़ेगी। अगले एक अक्टूबर 2013 को बकाया स्टॉक 75 लाख टन के स्तर पर रहने का अनुमान है। सरकार अगले सीजन यानि एक अक्टूबर 2014 को भी सरकार अच्छा स्टॉक रखने का प्रयास करेगी। इसके लिए चीनी का आयात करना होगा। विदेशी फर्म के अधिकारी ने कहा कि अगले सीजन में चीनी उत्पादन के बारे में अभी कोई अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि गन्ने का उत्पादन अगले मानसून, बुवाई रकबा, रिकवरी रेट और चारे के लिए गन्ने के इस्तेमाल पर कुल उत्पादन निर्भर करेगा। फिर भी मेरा मानना है कि अगले सीजन में 200-210 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है।