मिलों की खातिर कोटा अवधि दो माह बढ़ाने की मांग उठाई उद्योग ने फिलहाल चार माह का बिक्री कोटा हो रहा है जारी दिसंबर-अप्रैल के लिए 70 लाख टन चीनी बिक्री का कोटा बिक्री अवधि बढऩे से मिलों को ऊंचे भाव मिलने की उम्मीद पहले सरकार हर माह जारी करती थी चीनी बिक्री का कोटा मंत्रालय ने दिसंबर में बिकी चीनी का ब्योरा मांगा मिलों से चीनी मिलों को राहत देने के लिए खाद्य मंत्रालय गैर लेवी चीनी के बिक्री (खुले बाजार में चीनी की बिक्री) कोटे की अवधि को और बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
खाद्य मंत्रालय ने दिसंबर महीने में बेची गई गैर लेवी कोटे की बिक्री का ब्यौरा चीनी मिलों से मांगा है। इससे पहले सरकार ने एक माह के बजाय चार माह का एक साथ बिक्री कोटा जारी करने का फैसला किया था। इस क्रम में सरकार ने चार महीनों (दिसंबर 2012 से मार्च 2013) के लिए गैर लेवी के रूप में 70 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था।
खाद्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चीनी मिलों से दिसंबर महीने में गैर लेवी चीनी की बिक्री का ब्यौरा मांगा गया है। उसी के आधार पर कोटे की बिक्री अवधि को आगे बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।
चीनी मिलों के साथ ही मिलों के संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) और नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) ने 20 दिसंबर को खाद्य मंत्री को पत्र लिखकर कोटे की अवधि को दो महीने के लिए और बढ़ाने की मांग की थी। इस तरह चीनी का कोटा चार माह के बजाय छह माह के लिए जारी करने की मांग की गई है।
दरअसल कम अवधि का बिक्री कोटा जारी होने से मिलों को उस अवधि का कोटा उसी दौरान बेचने की बाध्यता रहती है। इससे उन्हें बेहतर मूल्य मिलने पर बिक्री करने का मौका कम मिलता है। अधिकाधिक अवधि का कोटा जारी होने पर मिलें बाजार में ऊंचे भाव पर चीनी बेचने को स्वतंत्र होंगी।
जिससे उन्हें ऊंचे भाव पर सप्लाई करने की छूट मिल जाएगी। हालांकि सरकार ने तीन या चार माह का कोटा जारी करने पर हर माह के लिए न्यूनतम बिक्री की शर्त लगाई थी। इससे मिलों को पांच-दस फीसदी ही चीनी अपनी मर्जी के मुताबिक कभी भी बेचने की अनुमति मिलती है। खाद्य मंत्रालय ने दिसंबर से मार्च के लिए नोन लेवी के रूप में 70 लाख टन चीनी बिक्री का कोटा जारी किया था।
घरेलू बाजार में चीनी की कुल उपलब्धता मांग के मुकाबले ज्यादा होने के कारण थोक बाजार में पिछले डेढ़ महीनों में चीनी की कीमतों में करीब 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। सोमवार को दिल्ली में चीनी के थोक दाम घटकर 3,260 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव घटकर 3,160 से 3,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में 31 दिसंबर तक चीनी का उत्पादन 2.5 फीसदी बढ़कर 79.60 लाख टन हो चुका है। इस दौरान महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी का उत्पादन बढ़ा है लेकिन उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों में पेराई सीजन देरी से आरंभ होने के कारण उत्पादन घटा है।
महाराष्ट्र में 31 दिसंबर तक 29.07 लाख टन और कर्नाटक में 15.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में दिसंबर के आखिर तक 19.25 लाख टन का ही उत्पादन हुआ है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 11 फीसदी कम है। उत्पादन कम होने के बावजूद चीनी की कीमतों में उत्तर प्रदेश में गिरावट बनी हुई है।
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन 2012-13 (अक्टूबर से दिसंबर) में देश में 240 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में 263 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। देश में चीनी की सालाना खपत करीब 220 लाख टन की होती है।