इस्मा ने कहा- मिलों को किसानों का गन्ना भुगतान करने में कठिनाई होगी चीनी उद्योग ने कहा है कि गन्ने की ऊंची कीमतें और सरकारी हस्तक्षेप के चलते मिलों को चीनी की बिक्री उत्पादन लागत से भी कम दाम पर करनी पड़ रही है। उद्योग ने यह भी आशंका जताई है कि मौजूदा हालात में चालू पेराई सीजन में किसानों को गन्ना सप्लाई का भुगतान करने में मिलों को दिक्कत आएगी।
गन्ने की ऊंची कीमतों के अलावा वैश्विक बाजार में चीनी के दाम कम होने से आयात भी बढ़ रहा है। विदेशी बाजार के मुकाबले भारत में चीनी महंगी होने के कारण आयात फायदेमंद साबित हो रहा है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार गन्ने की ऊंची कीमत और भारी आयात के कारण चालू पेराई सीजन में चीनी की बिक्री मिलों को उत्पादन लागत से भी कम दाम पर करनी पड़ रही है। चीनी की मौजूदा कीमतों के आधार पर चालू पेराई सीजन 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) में चीनी मिलों को करीब 6,000 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है।
ऐसे में मिलें किसानों को गन्ने का भुगतान नहीं कर पाएंगी। चीनी उद्योग को किसानों को गन्ना सप्लाई के लिए 10,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा भुगतान करना है। इस्मा का कहना है कि इस समय उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री दाम 3,200-3,300 रुपये प्रति क्विंटल हैं जबकि चीनी मिलों की लागत 3,500 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल है।
इस्मा ने खाद्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के वी थॉमस को पत्र लिखकर मांग की है कि चालू पेराई सीजन 2012-13 के लिए गन्ने के लिए लेवी चीनी की कीमतें जल्द से जल्द बढ़ाई की जाएं। पेराई सीजन आरंभ हुए तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक सरकार ने लेवी चीनी के खरीद दाम तय नहीं किए है।