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चालू सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़ा
Date: 19 Dec 2012
Source: Business Bhaskar
Reporter: Business Bhaskar Bureau
News ID: 1856
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15 दिसंबर तक चीनी का उत्पादन 48 लाख टन से बढ़कर 49 लाख टन


उतार-चढ़ाव
महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन बढ़कर 18.80 लाख टन
यूपी में उत्पादन 20 फीसदी घटकर सिर्फ 10.33 लाख टन
एसएपी के निर्धारण में देरी से यूपी में पेराई शुरू होने में देरी

चालू पेराई सीजन 2012-13 (अक्टूबर से सितंबर) में 15 दिसंबर तक 49.06 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2 फीसदी ज्यादा है। अभी तक देशभर में 455 चीनी मिलों में पेराई शुरू हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 473 चीनी मिलों में पेराई शुरू हो गई थी।


इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर तक 49.06 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जो पिछले साल के 48.15 लाख टन से ज्यादा है। सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में 15 दिसंबर तक 18.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि के 18.33 लाख टन से ज्यादा है। हालांकि चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन घटकर 65 लाख टन ही होने का अनुमान है।


उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में अभी तक 10.33 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 20 फीसदी कम है। राज्य सरकार द्वारा गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) देरी से घोषित किए जाने के कारण मिलों में देरी से पेराई शुरू हो पाई। इस समय उत्तर प्रदेश में इस समय 116 चीनी मिलों में ही गन्ने की पेराई शुरू हो पाई है जबकि पिछले साल 121 मिलों में पेराई चल रही थी।


हालांकि चालू सीजन में चीनी का उत्पादन उत्तर प्रदेश में बढ़कर 79 लाख टन होने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने के एसएपी में 17 फीसदी की बढ़ोतरी कर सामान्य किस्म के लिए भाव 280 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।


कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर तक 11 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जो पिछले साल की समान अवधि के 9.05 लाख टन से ज्यादा है। इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन 2012-13 में चीनी मिलों को 66,000 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को करना होगा।


चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव कम है जबकि गन्ने के दाम ज्यादा है ऐसे में इस्मा ने सरकार से रॉ-शुगर के आयात शुल्क में तुरंत बढ़ोतरी करने की मांग की है। इसके साथ ही चीनी उद्योग को विनियंत्रण पर रंगराजन समिति की सिफारिशों को भी जल्द लागू करने की भी मांग की है।

 
  

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