तय कोटे की चीनी नहीं बेची तो सरकार लेवी कोटा में तब्दील कर देगी सरकारी सख्ती - खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि वह खुले बाजार में बिक्री के लिए तय कोटे की कड़ी निगरानी कर रहा है। तय कोटे की चीनी अक्टूबर व नवंबर में नहीं बेची तो सख्ती होगी। कोटा की चीनी बाद में बेचने की अनुमति मिलने की चर्चाओं के बाद मंत्रालय ने यह बयान दिया है। चीनी के भाव सुस्त - मुंबई मिलों पर चीनी की बिकवाल का दबाव होने से वायदा बाजार में भाव नरम रहे। एनसीडीईएक्स में चीनी नवंबर वायदा 3342 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर सुस्त रही। महाराष्ट्र की कोल्हापुर मंडी में भाव 5 रुपये घटकर 3545 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। देश की दूसरी मंडियों में चीनी के भाव में थोड़ी सुस्ती दर्ज की गई। हालांकि पिछले कुछ महीनों के दौरान इसके भाव में भारी तेजी आई थी। चीनी के थोक भाव 2800 रुपये प्रति क्विटंल से बढ़कर 3500 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर चल गए। (रॉयटर्स) केंद्र सरकार आगामी त्योहारी सीजन में चीनी के मूल्यों पर अंकुश बनाए रखने के लिए कड़ी नजर रख रही है। सरकार ने कहा है कि मिलों को तय किए गए कोटे के अनुसार खुले बाजार में चीनी की बिक्री करनी चाहिए। मिलों को चेतावनी दी गई है कि अगर मिले अक्टूबर व नवंबर के लिए तय कोटे की चीनी बाजार में बेचने में विफल रहती है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
खाद्य मंत्रालय चीनी के मूल्य पर नियंत्रण रखने के लिए हर तिमाही के लिए चीनी का कोटा तय करती है। इसमें से हर महीने के लिए भी मात्रा तय होती है। मिलों को हर महीने की तय मात्रा में चीनी अवश्य बेचनी होती है।
सरकार ने देश की 380 मिलों के लिए अक्टूबर व नवंबर के दौरान 40 लाख टन चीनी बेचने का कोटा तय किया है। इस कोटे में से हर मिल के लिए उनकी क्षमता के अनुसार मात्रा तय है। खाद्य मंत्रालय ने एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा है कि वह खुले बाजार में बिक्री के लिए तय कोटे की कड़ी निगरानी कर रहा है।
कोटा तय करने के उद्देश्य के खिलाफ चीनी मिलों की ओर से कोई कदम उठाया जाता है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बाजार में इस तरह की चर्चाओं के बाद यह चेतावनी जारी की गई है कि अक्टूबर व नवंबर में बिक्री के लिए तय कोटा की चीनी बाद में बेचने की अनुमति मिल सकती है।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मिलों को सलाह दी गई है कि वे चर्चाओं की ओर ध्यान न दें और अक्टूबर व नवंबर के लिए निर्धारित कोटे के अनुसार चीनी की बिक्री और लदान सुनिश्चित करें। अगर मिलें कोटे की चीनी निर्धारित अवधि में बेचने में विफल रहती है तो कोटे की चीनी लेवी स्टॉक में तब्दील कर दी जाएगी।
इसका आशय है कि बिकने से बची चीनी सरकार सस्ती कीमत पर लेवी स्टॉक के रूप में ले लेगी। पिछले सितंबर में समाप्त हुए मार्केटिंग वर्ष 2011-12 के दौरान देश में 260 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, जबकि देश में खपत करीब 220 लाख टन रहती है।