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News
चीनी के शुल्क-मुक्त आयात का फायदा उठाने की तैयारी
Date:
29 Jun 2017
Source:
The Business Standard
Reporter:
Reuters
News ID:
16564
Pdf:
Nlink:
चीनी उपभोग में विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता भारत चीनी के आयात को बढ़ा सकता है। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि अंतरराष्टï्रीय कीमतों में गिरावट आने और रुपये में मजबूती की वजह से कड़े शुल्क के बावजूद विदेशों से खरीदारी करना आसान हो रहा है। भारत में चीनी का इस्तेमाल विशेष रूप से शीतल पेयों से लेकर स्नैक्स तक में किया जाता है। भारत में चीनी का बढ़ता उपभोग उन बेंचमार्क वैश्विक कीमतों को प्रोत्साहित कर सकता है जो अपने 16 महीने के निम्र स्तर के आस-पास चल रही हैं। हालांकि इससे भारतीय चीनी के दामों पर दबाव बनेगा और संभवत: पेराई करने वाली मिलों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दर पर किसानों को गन्ने का भुगतान करना मुश्किल हो जाएगा। महाराष्टï्र में चीनी मिल का संचालन करने वाली बारामती एग्रो के मुख्य कार्यकारी रोहित पवार कहते हैं कि चालू कीमतों (अंतरराष्टï्रीय) के स्तर पर रिफाइनर घरेलू खपत के लिए चीनी का आयात कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।
व्यापारियों का अनुमान है कि 40 प्रतिशत का आयात शुल्क मिलाकर विदेशों से आने वाली कच्ची चीनी से तैयार की गई चीनी की लागत करीब 32,000 रुपये प्रति टन आती है। यह 34,600 रुपये प्रति टन के भाव वाली स्थानीय चीनी के मुकाबले लगभग आठ प्रतिशत सस्ती है। मजबूत होते रुपये ने भी भारतीय मिलों को विदेशी बंदरगाहों पर डॉलर में अदा की जाने वाली कीमत का भुगतान आसान कर दिया है।
इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये में पांच प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हो चुका है। अप्रैल में सरकार ने 5,00,000 टन चीनी के शुल्क मुक्त आयात को मंजूरी दी थी। एक साल पहले की तुलना में स्थानीय उत्पादन में 20 प्रतिशत की गिरावट आने के बाद कीमतों पर नियंत्रण रखने के इरादे से ऐसा किया गया था। महाराष्टï्र में कोल्हापुर स्थित एक चीनी मिल के संचालक ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अभी रिफाइनर शुल्क मुक्त आयात का संसाधन कर रहे हैं। अगले महीने से वे स्थानीय खपत के लिए आयात (शुल्क देकर) करना शुरू कर सकते हैं। वैश्विक रूप से व्यापार करने वाली एक फर्म के नई दिल्ली स्थित व्यापारी ने कहा कि यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि कर चुकाते हुए भारतीय रिफाइनर कितना आयात करेंगे। बाजार ने अतिरिक्त आयात की उम्मीद नहीं की है। एक बार आयात शुरू हो जाए तो स्थानीय दाम गिर सकते हैं और इससे बड़ी मात्रा में आयात करना मुश्किल हो सकता है।
तीन महीनों में दाम गिरकर पहले ही अपने निम्रतम स्तर पर आ चुके हैं। शुल्क मुक्त आयात और सामान्य की अपेक्षा कम गरम रही गर्मी की वजह से ऐसा हुआ है क्योंकि इससे आइसक्रीम जैसे शीतल खान-पान की मांग भी कम रही है। पवार कहते हैं कि चीनी पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने की जरूरत है। वरना आयात से कीमतों में और गिरावट आ जाएगी जिससे मिलों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित गन्ने की कीमत अदा करना मुश्किल हो जाएगा।
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