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चीनी डिकंट्रोल पर रिपोर्ट जल्द
Date: 19 Sep 2012
Source: बिजनेस भास्कर
Reporter: PTI
News ID: 1570
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शिकंजे में चीनी
वकालत - खुले बाजार में चीनी की बिक्री पर नियंत्रण होने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सस्ता मूल्य पर लेवी चीनी खरीदे जाने से उद्योग को नुकसान होता है। इस वजह से उद्योग नियंत्रण हटाने की मांग कर रहा है।


मुश्किल - नए मार्केटिंग वर्ष 2012-13 में चीनी का उत्पादन घटकर 240-250 लाख टन के बीच रहने का अनुमान है। जबकि इस महीने समाप्त हो रहे सीजन में 260 लाख टन उत्पादन हुआ। इससे चीनी महंगी हो रही है।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति (पीएमईएसी) के प्रमुख सी. रंगराजन ने कहा है कि चीनी उद्योग को डिकंट्रोल करने के मुद्दे पर गठित विशेषज्ञ समिति इस महीने के अंत तक अपनी सिफारिशें दे देगी। रंगराजन विशेषण समिति की अगुवाई कर रहे हैं।


यहां एक कार्यक्रम के बाद रंगराजन ने संवाददाताओं को बताया कि हमने इस मसले पर बातचीत पूरी कर ली है। हमने चीनी उद्योग, गन्ना उत्पादकों और विभिन्न राज्य सरकारों के सभी प्रतिनिधियों से बातचीत कर ली है। इस वजह से हम अगले 10-15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने की स्थिति में हैं।
इस महीने के शुरू में हुई पिछली बैठक में विशेषज्ञ समिति चीनी उद्योग के कुछ मुद्दों पर सहमति दिखाई दी।


पिछले 27 जनवरी को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीनी उद्योग को डिकंट्रोल करने से जुड़े मुद्दों की जांच करने के लिए रंगराजन की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति की गठन किया था। 
इस समिति में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु के अलावा खाद्य व कृषि मंत्रालय के सचिव को सदस्य के दौर पर शामिल किया गया था। चीनी उद्योग में उत्पादन से लेकर वितरण तक कई तरह की पाबंदियां हैं।


उद्योग संगठन इस्मा और एनएफसीएसएफ लंबे अरसे से आंशिक रूप से डिकंट्रोल खत्म करने की मांग कर रहे हैं। खुले बाजार में चीनी की बिक्री को नियंत्रण मुक्त करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए लेवी चीनी लेने की व्यवस्था खत्म करने की मांग की जा रही है। सरकार लेवी चीनी के तौर पर मिलों से 10 फीसदी उत्पादन बाजार मूल्य से कम भाव पर खरीदती है और इसका वितरण पीडीएस में करती है।


उद्योग का कहना है कि बाजार मूल्य से कम मूल्य पर लेवी चीनी देने से मिलों को करीब 2500-300 करोड़ रुपये की हर साल राजस्व हानि होती है। 
अगले एक अक्टूबर से शुरू होने वाले मार्केटिंग वर्ष 2012-13 में देश में उत्पादन घटकर 240-250 लाख टन के बीच रहने का अनुमान है। जबकि इस महीने समाप्त हो रहे मौजूदा सीजन में 260 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। चीनी का उत्पादन घटने की वजह से पिछले हफ्तों में घरेलू बाजार में चीनी के दाम बढ़े।

गन्ने का रकबा 53.54 लाख हैक्टेयर : सेटेलाइट सर्वे

चालू खरीफ सीजन 2012-13 में गन्ने की बुवाई 53.54 लाख हैक्टेयर में हुई है जो कृषि मंत्रालय के अनुमान से 1.3 फीसदी ज्यादा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में गन्ने की बुवाई 52.88 लाख हैक्टेयर में हुई है। उद्योग संगठनों का कहना है कि सेटेलाइट इमेजिंग से प्राप्त आंकड़ों से रकबा बढऩे के संकेत मिले हैं।


इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) और नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) द्वारा संयुक्त रूप से कराए गए सेटेलाइट सर्वे के अनुसार चालू खरीफ में गन्ने की बुवाई 53.54 लाख हैक्टेयर में हुई है जो कृषि मंत्रालय के अनुमान 52.88 लाख हैक्टेयर की तुलना में 1.3 फीसदी ज्यादा है।


उद्योग के अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में गन्ने की बुवाई पिछले साल की तुलना में दो फीसदी ज्यादा है। उद्योग के अनुसार पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले नए पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 240 लाख टन होने का अनुमान है। हालांकि गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी हुई है लेकिन महाराष्ट्र में पशुचारे में गन्ने का इस्तेमाल हुआ है जिससे चीनी का उत्पादन नए पेराई सीजन में कम रहने का अनुमान है।

 
  

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