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बाजार में चीनी के दाम में सुस्ती
Date: 09 Jun 2017
Source: Business Standard
Reporter: Rajesh Bhayani
News ID: 12581
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रिफाइनरी और मिलों द्वारा 5,00,000 टन तक की कच्ची चीनी के शुल्क मुक्त आयात को सरकार से अनुमति मिलने के बाद भारतीय बाजार में चीनी के दाम सुस्त पड़ रहे हैं। इस दबाव का एक अन्य कारण यह है कि वैश्विक बाजार में चीनी के दामों में तेज गिरावट आई है जिसने 40 प्रतिशत शुल्क पर भी इसके आयात को आसान कर दिया है। हालांकि चालू महीने में आयातित चीनी पर व्यापारियों को शुल्क नहीं चुकाना होगा लेकिन जुलाई में आने वाले स्टॉक के लिए उन्हें पांच प्रतिशत का आईजीएसटी चुकाना पड़ सकता है।
 
व्यापार के एक प्रतिनिधि का कहना है कि घरेलू बाजार के हालात को देखते हुए शुल्क मुक्त 5,00,000 टन कोटे वाली पूरी चीनी के खपने में संदेह लग रहा है। पेराई सीजन के निकट होने के बावजूद थोक बाजार में इस कोटे की घोषणा के बाद कीमतों में प्रति किलोग्राम एक रुपये की कमी नजर आई है। मिलों की आपूर्ति बढऩे के कारण ऐसा हुआ है। उद्योग के एक कार्यकारी ने बताया कि अंतरराष्टï्रीय बाजार में 11 नंबर की बेंचमार्क चीनी का अनुबंध मूल्य चार महीनों से भी कुछ कम समय में 30 प्रतिशत घट गया है। फिलहाल यह प्रति पौंड 14.1 सेंट पर चल रहा है। कुछ दिन पहले यह 14 सेंट के नीचे के स्तर पर चल रहा था। अगर कीमतें मंद रहती हैं तो 40 प्रतिशत के शुल्क के बावजूद भारत में चीनी का आयात होने लगेगा। 2017-18 के चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान घरेलू उत्पादन 25 प्रतिशत बढ़कर करीब 2.5 करोड़ टन चीनी होने का अनुमान जताया गया है, जबकि पिछले वर्ष यह उत्पादन 2.03 करोड़ टन था। इसी वजह से शुल्क लगाए जाने की संभावना है।
 
इंडियन मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की अध्यक्ष टी सरिता रेड्डïी का कहना है कि हमने प्रधानमंत्री कार्यालय के समक्ष अपना पक्ष रखा है कि आयात शुल्क को बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिए। गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 11 प्रतिशत के इजाफे के कारण 2018-19 में उत्पादन जोरदार होने के बावजूद अगर ऐसे वक्त में आयातित चीनी आती है तो किसानों के लिए बिक्री करना मुश्किल हो जाएगा और मिलों को भी दुविधा होगी।
 
यह सिर्फ चीनी उद्योग और किसानों को प्रभावित करने वाला मासला नहीं है। दरअसल, एक मुश्किल एथेनॉल पर लगने वाले जीएसटी को लेकर भी है। हरित ईंधन के रूप में पेट्रोल में सम्मिश्रित किए जाने वाले गौण उत्पाद एथेनॉल पर 18 प्रतिशत का जीएसटी निर्धारित है। पिछले साल एथेनॉल की कीमत 48 रुपये प्रति लीटर से कम करके 39 रुपये प्रति लीटर की गई थी और अब 18 प्रतिशत के जीएसटी के कारण चीनी मिलों के लिए इसे तेल विनिर्माता कंपनियों को बेचना मुश्किल हो जाएगा। इस्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय से एथेनॉल पर जीएसटी को कम करके पांच प्रतिशत करने का अनुरोध किया है। चूंकि उचित और लाभकारी मूल्य के कारण इसके कच्चे माल यानी गन्ने के दामों में 11 प्रतिशत का इजाफा हो जाएगा इसलिए इस्मा ने पेट्रोल में सम्मिश्रिण के लिए तेल विनिर्माता कंपनियों को बेचे जाने वाले एथेनॉल के दामों में वृद्धि करने का प्रस्ताव रखा है।
 
  

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