चीनी निर्यात पर हटाई गई सभी पाबंदियों की अधिसूचना जारी हुए अभी दो दिन ही बीते हैं और मिलें अभी चीनी निर्यात की प्रक्रिया भी शुरू नहीं कर पाई हैं कि वाणिज्य मंत्रालय ने फिर से अपनी टांग अड़ा दी है। वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि चीनी निर्यात से पहले मिलों को पंजीकरण कराना होगा। यह अनिवार्यता दस हजार टन तक की सीमा पर लागू होगी। वाणिज्य मंत्रालय ने इस तरह के आदेश को सोमवार देर शाम जारी किए थे। निर्यात से पहले अनुबंधों को पंजीकरण जरूरी विदेश व्यापार महानिदेशालय ने सोमवार को जारी अपनी अधिसूचना में कहा है कि चीनी के लिए निर्यात नीति मुक्त होगी, लेकिन मात्रा के पूर्व पंजीकरण की अनिवार्यता रहेगी। यानी चीनी मिलों को 10,000 टन तक की सीमा में चीनी निर्यात करने से पहले अपने अनुबंधों का पंजीकरण हर हाल में कराना ही होगा। निर्यातक दस हजार टन तक के लिए पंजीकरण प्रमाण पत्र के लिए आवेदन जमा कर सकते हैं। वाणिज्य मंत्रालय के इस आदेश से चीनी उद्योग सकते हैं। खाद्य मंत्रालय की घोषणा पर लगा ब्रेक उद्योग का कहना है कि मंत्रालय का यह निर्णय प्रतिबंधात्मक है, और इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री की बैठक में किए गए निर्णय की भावना के खिलाफ भी। यह अधिसूचना तब आई है, जब एक दिन पूर्व ही खाद्य मंत्रालय ने बिना किसी मात्रात्मक प्रतिबंध के चीनी निर्यात की अनुमति का एक औपचारिक आदेश जारी किया है। खाद्य मंत्रालय ने यह भी कहा था कि मिलों को निर्यात रिलीज आर्डर करने भी जरूरत नहीं होगी। मात्रात्मक प्रतिबंध हटाने की हुई थी घोषणा जाहिर है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में अंतर मंत्रालयी बैठक में चीनी को खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के अंतर्गत रखते हुए इसके निर्यात पर लगे मात्रात्मक प्रतिबंध हटाने का निर्णय किया गया था। इसके तहत खाद्य मंत्रालय ने 11 मई से 30 सितंबर तक बिना किसी मात्रात्मक प्रतिबंध के चीनी निर्यात करने की छूट दी थी। खाद्य मंत्रालय ने यह भी कहा था कि ओजीएल के तहत निर्यात आदेश प्राप्त करने की भी जरूरत नहीं होगी।