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News
अधिक खरीद से बढ़ी जूट बोरे की किल्लत
Date:
10 May 2012
Source:
Amar Ujala
Reporter:
Vijay Gupta
News ID:
1177
Pdf:
Nlink:
नई दिल्ली। जूट की पैदावार में लगभग सात फीसदी की बढ़ोतरी के बावजूद इन दिनों न सिर्फ किसान बल्कि सरकार को भी जूट बोरे की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। जूट बोरे न होने के कारण कई राज्यों में गेहूं की खरीद रुक गई है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में स्थिति ज्यादा खराब है। यहां न सिर्फ खरीदा हुआ गेहूं बल्कि बिक्री के लिए लाया गया लाखों टन गेहूं खुले आसमान के नीचे पड़ा है। जूट बोरे की मांग व आपूर्ति में 50 फीसदी का अंतर है। इसे पूरा करने के लिए केंद्र सरकार बांग्लादेश से जूट बोरे के आयात के साथ ही प्लास्टिक बोरी के इस्तेमाल पर विचार कर रही है।
लोकसभा में बुधवार को वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने माना कि देश में जूट बोरे की फौरी तौर पर किल्लत है। इसके चलते गेहूं खरीद प्रभावित हो रही है। राज्यों में जूट बोरे की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार प्रयासरत है। इसके लिए बांग्लादेश से जूट बोरे का आयात पर विचार किया जा रहा है। साथ ही प्लास्टिक की बोरियों को भी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करने पर भी सरकार विचार कर रही है। उधर, खाद्य राज्यमंत्री प्रो. केवी थॉमस के मुताबिक रबी खरीद सीजन से पहले राज्यों ने गेहूं खरीदने का जो आकलन लगाया था, केंद्र सरकार ने उस अनुपात में जूट बोरे खरीदने का लक्ष्य रखा था। लेकिन मौसम अच्छा होने से गेहूं की पैदावार उम्मीद से अधिक हुई है। साथ ही राज्यों ने भी खरीद का लक्ष्य बढ़ा दिया है। इसके चलते राज्यों में जूट बोरे की एकदम से किल्लत हो गई है।
कपड़ा मंत्रालय के मुताबिक, आधुनिकीकरण के अभाव में देश की ज्यादातर जूट मिलें घाटे में हैं। फिलहाल सिर्फ 79 मिलें ही चल रही हैं। इसमें सर्वाधिक 62 मिलें पश्चिम बंगाल में हैं। आर्थिक तंगी के चलते पश्चिम बंगाल की 20 फीसदी मिलें क्षमता के मुताबिक उत्पादन नहीं कर रही हैं। कई मिलें ऐसी भी हैं, जो घाटे के चलते बंद हो गई हैं। इसके चलते जूट बोरे का उत्पादन कमजोर है। यही नहीं जूट बोरे की किल्लत की दूसरी वजह यह भी है कि हैंड बैग की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2011-12 के दौरान यूरोपीय देशों को 750 लाख रुपये के जूट के हैंड बैग के अलावा जूट से बनी अन्य वस्तुओं का निर्यात हुआ है।
प्लास्टिक पर प्रतिबंध भी बढ़ा रहा मांग
मौसम अच्छा होने से गेहूं की पैदावार उम्मीद से अधिक हुई है। इसके साथ ही राज्यों ने भी खरीद का लक्ष्य बढ़ा दिया है। इसके चलते राज्यों में जूट बोरे की एकदम से किल्लत हो गई है।
प्रो. केवी थॉमस खाद्य राज्यमंत्री
आधुनिकीकरण के अभाव में ज्यादातर जूट मिलें घाटे में हैं। सिर्फ 79 मिलें ही चल रही हैं। इसमे 62 पश्चिम बंगाल में हैं। तंगी के चलते बंगाल की 20 फीसदी मिलें क्षमता के मुताबिक उत्पादन नहीं कर रही हैं। इसके चलते जूट बोरे का उत्पादन कमजोर है।
-कपड़ा मंत्रालय
खाद्य मंत्रालय का कहना है कि प्लास्टिक पर प्रतिबंध के चलते जूट बोरों की मांग लगातार बढ़ रही है। चालू वर्ष में धान के बाद अब गेहूं, दाल और चीनी का उत्पादन भी बढ़ा है। इसके चलते जूट बोरे की मांग भी बढ़ गई है। इस साल 17 जनवरी से चीनी मिलों के लिए जूट बोरे में पैकिंग अनिवार्य हो गई है। चूंकि इस दफा चीनी का उत्पादन भी 260 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है। इससे मिलों ने भी जूट बोरे की अधिक खरीद की है। रिकॉर्ड उत्पादन से धान की खरीद बढ़ने का असर भी जूट बोरियों पर पड़ा है। यही कारण है कि गेहूं खरीद सीजन में जूट बोरे की किल्लत बढ़ गई है।
मंत्रालय के मुताबिक देश में खाद्यान्न और चीनी में इस साल 50 किलो के जूट बोरे की खपत 200 करोड़ से अधिक रहने का अनुमान है।
इस साल 17 जनवरी से चीनी मिलों के लिए जूट बोरे में पैकिंग हो गई है अनिवार्य
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