इसमें यह भी कहा गया है कि किसानों को गन्ने के बकाये का भुगतान 2014-15 के लिए 99.33 फीसदी और 2015-16 के लिए 98.5 फीसदी हो चुका है। चालू सीजन 2016-17 का गन्ने का बकाया पिछले पांच वर्षों की इसी अवधि की तुलना में सबसे कम है। रेड्डी के मुताबिक उद्योग का यह मानना है कि उसकी कई चिंताएं दूर नहीं की गई हैं। गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी चीनी की कीमतों पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीनी के लिए जीएसटी की दर 5 फीसदी तय की गई है। लेकिन यह एथेनॉल के लिए 18 फीसदी और शीरे के ळिए 28 फीसदी तय की गई है, जो बहुत अधिक है। इस्मा ने कहा था कि एथेनॉल के लिए जीएसटी की दर 5 फीसदी या 12 फीसदी और शीरे के लिए 18 फीसदी तय की जाए।