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गन्ने का सरकारी दाम Rs.२५ प्रति क्विंटल बढ़ा
Date: 25 May 2017
Source: Economic Times
Reporter: ET Bureau
News ID: 11606
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कैबिनेट कमेटी ऑन इकनॉमिक अफेयर्स (CCEA) ने अक्टूबर से शुरू होनेवाले 2017-18 के नए पेराई सीजन के लिए गन्ने का सरकारी दाम (FRP) पिछले सीजन से 25 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। गन्ने का एफआरपी पिछले सीजन के रेट से 11 पर्सेंट बढ़ाकर 255 रुपये किया गया है और यह बढ़ोतरी दो साल बाद हुई है।

पिछले साल सरकार ने गन्ने का दाम 230 रुपये पर जस का तस रहने दिया था। साल 2009-10 के पेराई सीजन में एफआरपी लगभग 130 रुपये प्रति क्विंटल था। इसके दाम में हुई बढ़ोतरी 2010-11 के बाद लगातार सातवीं बार हुई है। इस तरह तब से अब तक यह 96 पर्सेंट बढ़ चुका है।

इस बीच इंडस्ट्री एसोसिएशन बॉडी ने कहा है कि गन्ने का सरकारी दाम बढ़ने से थोक और खुदरा चीनी के दाम में गिरावट आ सकती है। इंडस्ट्री को चीनी की मांग में कमी का सामना पहले से ही करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्राइसेज (CACP) की सिफारिशों के आधार पर एफआरपी तय करती है।

एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य होता है जो हर गन्ना किसान को अपनी फसल के लिए मिलता है। इसके अलावा कुछ राज्य सरकारें एफआरपी के ऊपर स्टेट एडवाइजरी प्राइस (एसएपी) का एलान करती हैं। राज्य सरकारें अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए एसएपी जारी करती हैं।

आधिकारिक बयान में कहा गया है, 'गन्ना किसानों के हितों और चीनी उद्योग की अहमियत को ध्यान रखते हुए यूनियन कैबिनेटने शुगर सीजन 2017-18 के लिए 255 रुपये प्रति क्विंटल के दर से गन्ने की एफआरपी तय करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह दर 9.5 पर्सेंट के बेसिक रिकवरी रेट से जुड़ी होगी जिसमें तय लेवल से ऊपर प्रति 0.1 पर्सेंट रिकवरी पर 2.68 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा।'

बयान के मुताबिक किसानों को गन्ने की वाजिब कीमत मुहैया कराने के लिए यह फैसला लिया गया है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) की प्रेसिडेंट टी सरिता रेड्डी के मुताबिक इंडस्ट्री समझती है कि लागत में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए किसानों को आकर्षक दाम मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे थी कि सरकार एफआरपी 240 रुपये प्रति क्विंटल तक रख सकती है। इतनी ज्यादा बढ़ोतरी होने से भारतीय चीनी ग्लोबल मार्केट में कॉम्पिटीटिव नहीं बन पाएगी।'

रेड्डी ने कहा कि बाजार में चीनी की मांग नहीं है। उन्होंने कहा, 'हो सकता है कि एफआरपी में बढ़ोतरी से अब चीनी के दाम में गिरावट आए क्योंकि चीनी की खपत घट रही है। इस साल चीनी की खपत उम्मीद से बहुत कम 2.3-2.35 करोड़ टन रह सकती है। पिछले साल 2.5 करोड़ टन चीनी की खपत हुई थी।'

एंजेल कमोडिटीज ब्रोकिंग के फंडमेंटल एनालिस्ट-एग्री कमोडिटीज रितेश कुमार साहू को लगता है कि इस सीजन में मॉनसून सामान्य रहने के फोरकास्ट से गन्ने की पैदावार 2017-18 सीजन में बेहतर रह सकती है। इससे गन्ना किसानों को फायदा होगा।

 
  

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