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मॉनसून से पहले ही गीली हुई चीनी
Date: 17 May 2017
Source: Business Standard
Reporter: सुशील मिश्र
News ID: 11573
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देश में कम उत्पादन की खबरों से महंगाई की पटरी पर सरपट दौड़ती चीनी पर मॉनसून ने ब्रेक लगाया है। समय से पहले मॉनसून आने और गन्ने के बेहतर उत्पादन के अनुमानों ने चीनी की तेजी पर अंकुश लगा दिया है। भीषण गर्मी और शादी विवाह का सीजन होने के बावजूद बाजार में चीनी की मांग कमजोर है, जिससे कीमतों में भी मामूली गिरावट आई है। चीनी के दाम गिरकर वायदा बाजार में 3,862 रुपये और हाजिर बाजार में 3,869 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए हैं। चालू सीजन में चीनी का उत्पादन कम होने की लगातार आ रही खबरों के कारण फरवरी से मार्च तक चीनी की कीमतों में लगातार तेजी का दौर बना रहा। उत्पादन के आंकड़ों में असमानता ने तेजी को और बढ़ावा दिया है। वैवाहिक सीजन और भीषण गर्मी के बावजूद बाजार में मांग कमजोर है। चीनी कारोबारियों ने बताया कि पिछले एक महीने में मांग करीब 10 फीसदी कम हुई है, जिससे बाजार में कीमतें स्थिर हैं। 
 
ऐंजल ब्रोकिंग के अनुज गुप्ता कहते हैं कि घरेलू बाजार में चीनी की मांग में हल्की कमी की वजह से कीमतों में हल्की गिरावट देखी जा रही है, जिसे गिरावट नहीं बल्कि स्थिरता कहना ज्यादा सही होगा। चीनी के दाम बढऩे की आशंका के कारण लोगों ने शादी विवाह के सीजन की शुरुआत में ही चीनी खरीद ली थी।  इस वजह से अब मांग कम है। चीनी उत्पादन में पहले पायदन पर पहुंचने वाले उत्तर प्रदेश में इस साल उत्पादन 90 लाख टन रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि सरकारी अनुमान अब भी 87.5 लाख टन है। इस साल गन्ना बुआई अच्छी होने और मॉनसून सही समय पर आने की वजह से उत्पादन बढऩे का अनुमान लगाया जा रहा है। चीनी कारोबारियों का कहना है कि अलग-अलग एजेंसियों की खबरों से बाजार में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन पिछले साल की तरह इस साल भी मॉनसून सही रहने की खबरों ने असमंजस को खत्म कर दिया है। दरअसल अलनीनो के कारण इस साल कम बारिश की आशंका जताई जा रही थी, जिससे कारोबारी स्टॉक बढ़ा रहे थे। बाजार में मांग बढऩे से कीमतें बढ़ रही थीं।  अब मौसम विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अलनीनो का कोई खतरा नहीं है और मॉनसून समय पर पहुंचेगा। मॉनसून की बेहतर खबर आने से स्टॉकिस्टों की तरफ से मांग कमजोर होने लगी है, जिससे कीमतों का बढऩा रुक गया। आने वाले दिनों में चीनी के दाम गिर भी सकते हैं क्योंकि बाजार में स्टॉक की कोई कमी नहीं है। 
 
क्रिसिल की हालिया रिपोर्ट में कहा गया कि चीनी ïवर्ष 2017-18 (अक्टूबर 2017 से सितंबर 2018) में देश में चीनी उत्पादन करीब 250 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि चालू चीनी वर्ष में उत्पादन 203 लाख टन रहने की उम्मीद है। उत्पादन कम होने की वजह से देश में चीनी की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रहेंगी क्योंकि महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखे के कारण उत्पादन कम हुआ है। इससे चीनी सीजन 2017 का स्टॉक कम रह सकता है। हालांकि 2018 में घरेलू मांग के बराबर उत्पादन होने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार की नीतियां और आयात नीति चीनी की कीमतें तय करेगी। गौरतलब है कि चीनी मिलों के संगठन इस्मा ने भी अपने अनुमान में चीनी उत्पादन घटाकर 203 लाख टन रहने का अनुमान व्यक्त किया था, जबकि पिछले साल देश में 251 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस्मा का यह उत्पादन अनुमान पिछले 7 साल का न्यूनतम स्तर है। उत्पादन कम होने की आ रही खबरों के बीच चीनी की कीमतों में तेज बढ़ोतरी शुरू हुई थी। वायदा बाजार में चीनी की कीमत 4,000 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर गई थी, जिनमें अब गिरावट आने की बात कही जा रही है।
 
  

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