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अगले साल ९० लाख टन चीनी का रिकॉर्ड प्रोडक्शन करेगा UP
Date: 16 May 2017
Source: Economic Times
Reporter: Jayashree Bhosale
News ID: 11570
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 उत्तर प्रदेश में चीनी की पेराई का सीजन खत्म होने वाला है। ऐसे में राज्य सरकार और शुगर इंडस्ट्री को भरोसा है कि अगले साल शुगर प्रॉडक्शन 90 लाख टन को पार कर जाएगा और इस साल से भी अधिक रहेगा। हालांकि, इससे देश में चीनी की कीमतें कम करने में मदद नहीं मिलेगी क्योंकि मौजूदा सीजन में शुगर इनवेंटरी में गिरावट आने के आसार हैं। यूपी केन कमिश्नर ऑफिस के एक बड़े अधिकारी ने बताया, 'हमें भरोसा है कि हमारा शुगर प्रॉडक्शन अगले साल 90 लाख टन को पार कर जाएगा क्योंकि नई शुगरकेन वैरायटी के तहत रकबे में बढ़ोतरी हुई है। कुछ शुगर मिलों के लिए तो यह बढ़ोतरी 80 पर्सेंट तक है।' राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस सीजन में शुगर प्रॉडक्शन 88 लाख टन रह सकता है।


रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अनुमान लगाया है कि 2017-18 शुगर सीजन यानी (अक्टूबर 2017 से सितंबर 2018 के बीच) शुगर प्रॉडक्शन बढ़कर 2.5 करोड़ टन तक पहुंच सकता है, जबकि इस साल इसका उत्पादन 2.03 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। क्रिसिल के मुताबिक, यूपी में 90 लाख टन शुगर प्रॉडक्शन हो सकता है। इसमें हाई यील्ड शुगरकेन वैरायटी का बड़ा रोल होगा। उसने यह भी कहा था कि इस सीजन में किसानों ने अधिक क्षेत्र में गन्ने की बुआई की है क्योंकि उन्हें इसका पिछला भुगतान मिलों की तरफ से मिल चुका है। वहीं, महाराष्ट्र में प्रॉडक्शन 70 लाख टन रहने की उम्मीद है। 



क्रिसिल ने बताया था कि वहां भी बुआई का रकबा बढ़ने और बेहतर मॉनसून से मदद मिली है। हालांकि, राज्य की शुगर इंडस्ट्री ने कहा है कि 2017-18 शुगर सीजन में प्रॉडक्शन 75 लाख टन भी पहुंच सकता है। भले ही शुगर प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी की उम्मीद है, लेकिन मौजूदा सीजन में इससे चीनी सस्ती नहीं होगी। क्रिसिल ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा था, 'शुगर सीजन 2017 और 2018 में भारत में चीनी की कीमत हायर लेवल पर रहने की उम्मीद है। उसकी वजह यह है कि शुगर सीजन 2017 में क्लोजिंग इनवेंटरी के घटकर 2.2 महीने के कंजम्पशन के बराबर रहने की उम्मीद है। उसकी वजह महाराष्ट्र और कर्नाटक में शुगर प्रॉडक्शन में आई गिरावट है।' क्रिसिल ने बताया कि शुगर सीजन 2018 में 2.5 करोड़ टन की डोमेस्टिक मांग पूरी करने लायक प्रॉडक्शन रहेगा। इसलिए इनवेंटरी लेवल में कोई बदलाव नहीं होगा। उसने कहा कि चीनी की कीमत में इंपोर्ट और सरकार की पॉलिसी का असर पड़ सकता है।             

 
  

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