विदेश में असर विश्व बाजार में चीनी के भाव और घटने की संभावना पहले से ही ज्यादा सप्लाई वाले बाजार में दबाव और बढ़ेगा जुलाई से मूल्य में कुछ सुधार आने की कारोबारियों को उम्मीद भारत से चीनी के असीमित निर्यात की अनुमति मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के मूल्य पर और दबाव बढऩे की संभावना बढ़ गई है। अत्यधिक सप्लाई होने की वजह से चीनी के भाव विश्व बाजार में पहले से ही एक साल के निचले स्तर पर चल रहे हैं।
केंद्र सरकार द्वारा चीनी के निर्यात को और उदार बनाए जाने के बाद न्यूयॉर्क के आईसीई एक्सचेंज में बुधवार को रॉ शुगर फ्यूचर घटकर 20.50 सेंट प्रति पाउंड रह गया। भारत में खपत के मुकाबले 40 लाख टन सरप्लस चीनी उपलब्ध होने का अनुमान है। दुनिया के दूसरे बड़े उत्पादक और सबसे बड़े उपभोक्ता भारत के नीतिगत फैसले का अंतरराष्ट्रीय बाजार पर असर पडऩा लाजिमी है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहले से ही ब्राजील और थाईलैंड की ज्यादा सप्लाई का दबाव है। ब्रिसबेन में कमोडिटी एनालिस्ट ग्रीन पूल के डायरेक्टर टॉम मैक नील ने कहा कि भारत के फैसले से घरेलू बाजार में भले ही ज्यादा सप्लाई का दबाव घटेगा लेकिन विश्व बाजार में गिरावट का रुख बन सकता है।
सरकार की घोषणा के बाद रॉ शुगर और व्हाइट शुगर दोनों में ही गिरावट दर्ज की गई। मौजूदा घटनाक्रम में भारतीय चीनी उद्योग को फायदा होगा। यह उद्योग ज्यादा लचीला हो गया है। इससे चीनी के उत्पादन में बार-बार भारी कमी और बढ़ोतरी नहीं होगी।
वर्ष 2009 में सूखे के कारण भारत में चीनी का उत्पादन घटने से उसे आयात का सहारा लेना पड़ा और इससे न्यूयॉर्क में रॉ शुगर तीस साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई। जबकि इस साल भारत में 220 लाख टन खपत के मुकाबले 260 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की संभावना है।
इसी वजह से सरकार ने असीमित निर्यात की अनुमति दी है। कारोबारियों को उम्मीद है कि इस साल मुस्लिम त्यौहार रमदान का महीना जुलाई में शुरू होगा। इससे बांग्लादेश और मध्य-पूर्व में कुछ अतिरिक्त चीनी की खपत हो सकती है और वैश्विक मूल्य में कुछ सुधार हो सकता है। चीनी का 20 लाख टन निर्यात संभव
उद्योग का अनुमान है कि चालू मार्केटिंग सीजन के बकाया पांच महीनों में भारत से 20 लाख टन चीनी का निर्यात होने की संभावना है। सरकार ने बुधवार को चीनी निर्यात से मात्रात्मक प्रतिबंध हटा लिया था। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के डायरेक्टर जनरल अबिनाश वर्मा ने बताया कि अब तक चालू सीजन (अक्टूबर से सितंबर) में 16 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है। इस सीजन में कुल 36 लाख टन चीनी का निर्यात होने की संभावना है।
पिछले महीनों के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि लॉजिस्टिक्स क्षमता के अनुसार हर माह चार लाख टन चीनी का निर्यात किया गया। आगामी पांच माह में मानसून भी चीनी के परिवहन को प्रभावित करेगा। इस वजह से 17 से 20 लाख टन चीनी का निर्यात संभव हो पाएगा। पिछले सीजन 2010-11 में 31 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया था।