नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : खाद्य वस्तुओं में महंगाई के बावजूद चीनी के महंगा होने की संभावना नहीं है। चालू पेराई सत्र में चीनी का उत्पादन घरेलू मांग के मुकाबले अधिक हुआ है, जिससे जिंस बाजार में चीनी का मूल्य स्थिर बना हुआ है। इन्हीं तथ्यों का हवाला देकर खाद्य सचिव बीसी गुप्ता ने कहा, ‘पर्याप्त स्टॉक के चलते चीनी के मूल्य में वृद्धि संभव नहीं है।’ गुप्ता अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन (आइएसओ) के भी चेयरमैन हैं।
खाद्य मंत्रलय के अनुमान के मुताबिक चालू गन्ना वर्ष के दौरान 2.52 करोड़ टन चीनी का उत्पादन होगा। वैसे, उद्योग ने इससे कहीं अधिक 2.60 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है। आगामी गन्ना वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) 2012-13 में बुवाई रकबा को देखते हुए चीनी का उत्पादन अधिक रहने की संभावना है। खाद्य सचिव गुप्ता ने बताया, ‘चीनी की घरेलू खपत 2.20 करोड़ टन होने का अनुमान है। इसीलिए सरकार ने 30 लाख टन चीनी निर्यात का फैसला किया है।’
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के आंकड़ों के मुताबिक 25 अप्रैल तक देश में कुल 2.50 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। यह पिछले साल के मुकाबले 28 लाख टन अधिक है। अभी 214 मिलों में पेराई चालू है। महाराष्ट्र में कुल 88 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। वहां की 78 मिलों में पेराई जारी है। उत्तर प्रदेश में 70 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है और वहां की सात मिलों में उत्पादन जारी है।
दक्षिण भारत की तमिलनाडु में अभी सात लाख टन चीनी का उत्पादन और बढ़ने का अनुमान है। तमिलनाडु में अभी तक 16 लाख टन और कर्नाटक में 38 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। अब तक हुई गन्ना बुवाई का रकबा 44.12 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह पिछले साल के मुकाबले अधिक है। गुप्ता ने कहा कि चीनी उद्योग की मुश्किलें कम करने के लिए इथेनॉल उत्पादन पर जोर देने की जरूरत है। इथेनॉल उत्पादन बढ़ाकर ही चीनी उद्योग की अस्थिरता पर काबू पाया जा सकता है। आइएसओ के कार्यकारी निदेशक पीटर बैरन ने कहा कि चीनी उत्पादन की दिशा में भारत सही रास्ते पर है। चीनी उद्योग भी प्रगति कर रहा है।