बैठक 30 को
नई दिल्ली, एजेंसियां: चीनी और कपास जैसे कृषि जिंसों के निर्यात को लेकर कृषि मंत्री शरद पवार की आपत्तियों को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस मसले पर चर्चा के लिए 30 अप्रैल को बैठक बुला ली है। वैसे, पवार ने सफाई दी है कि सरकार में इन मुद्दों पर किसी तरह का मतभेद नहीं है।
सूत्रों ने बताया है कि इस बैठक में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, खाद्य मंत्री केवी थॉमस और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा भी होंगे। यहां एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे पवार ने कहा कि समस्या चावल और गेहूं के निर्यात को लेकर नहीं है। सवाल कपास और चीनी निर्यात का है। पवार ने हाल में प्रधानमंत्री को पत्र लिख शिकायत की थी कि खाद्य और कपड़ा मंत्रलय किसान विरोधी नीतियां अपना रहे हैं। खासकर कपास और चीनी निर्यात के मामले में। उन्होंने कपास निर्यात पर रोक को पीछे जाने वाला कदम बताया था। पवार ने सोमवार को ही फसल वर्ष 2011-12 के लिए तीसरे अग्रिम अनुमान जारी किए। इनमें खाद्यान्न उत्पादन के अनुमानों को 20 लाख टन बढ़ा दिया गया है। नए अनुमान के अनुसार, चालू फसल वर्ष में अनाज का उत्पादन 25.26 करोड़ टन रहेगा, जो एक नया रिकॉर्ड होगा। यह प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक की दृष्टि से बेहतर है, वहीं अनाज के भंडारण की चिंता भी पैदा कर रहा है। इसको देखते हुए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) को नई फसल को रखने के लिए निजी गोदामों को किराए पर लेने को कहा गया है। भंडारण समस्या को खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने चुनौतीपूर्ण करार दिया है। अभी सरकार के पास 6.6 करोड़ टन गेहूं और चावल का भंडारण करने की क्षमता है। सरकार राशन की दुकानों के जरिए खुले बाजार में गेहूं और चावल को जारी करने के बारे में विचार कर सकती है।