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गन्ना समितियों का कमीशन घटाने की तैयारी
Date: 08 Apr 2012
Source: Dainik jagran
Reporter: Arjun sharma
News ID: 1027
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प्रदेश सरकार चीनी मिलों से प्रति कुंतल गन्ना खरीद पर गन्ना समितियों को मिलने वाले कमीशन को कम करने की फिराक में है। इसके लिये सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों से पूछा है कि प्रति कुंतल कमीशन में से एक रुपया, दो रुपये व तीन रुपये कम करने पर गन्ना समितियों को कितना कमीशन मिलेगा। इसका समितियों के वेतन व विकास कार्यो पर क्या असर होगा? अभी तक चीनी मिलें प्रति कुंतल गन्ना खरीद पर गन्ना समितियों को केंद्र सरकार द्वारा घोषित गन्ने के एफआरपी (उचित एवं लाभकारी मूल्य) का तीन फीसदी का भुगतान करती हैं। फिलहाल यह राशि 4.35 रुपये प्रति कुंतल है।

प्रदेश सरकार आगामी पेराई सत्र 2012-13 में गन्ना विकास के लिए काम करने वाली गन्ना समितियों का पेट काटने की तैयारी कर रही है। शुगर केन पर्चेज एक्ट 1953 के तहत प्रदेश की सभी चीनी मिलें गन्ना खरीद पर संबंधित गन्ना समिति को प्रति कुंतल केंद्र सरकार द्वारा घोषित एफआरपी पर तीन फीसदी कमीशन का भुगतान करती हैं। वर्तमान में यह 4.35 रुपये प्रति कुंतल है। प्रदेश में 125 चीनी मिलें हैं। अकेले मेरठ क्षेत्र की 16 मिलों ने वर्तमान वर्ष में 47 करोड़ से अधिक राशि का भुगतान कमीशन के रूप में किया है। सत्र 2004-05 के बाद से किसी भी प्रदेश सरकार ने इस कमीशन की राशि में से कोई छूट चीनी मिलों को नहीं दी है। लेकिन सपा सरकार आगामी सत्र में शायद चीनी मिलों को यह लाभ पहुंचाने की तैयारी कर रही है। शुक्रवार देर रात व शनिवार को प्रदेश के सभी जिला गन्ना अधिकारियों को गन्ना आयुक्त की ओर से प्रदेश के संयुक्त गन्ना आयुक्त समिति मुर्तजा द्वारा फैक्स के माध्यम से आदेश भेजकर जिले की समितियों को कमीशन से प्राप्त होने वाली राशि, उनसे होने वाले कार्यो तथा कमीशन की राशि में एक, दो व तीन रुपये घटाने की स्थिति में पड़ने वाले फर्क की विस्तृत जानकारी मांगी है। जिसे लेकर दिन भर वेस्ट यूपी के सभी जिलों समेत प्रदेश में हलचल मची रही। गुप्त रूप से ये सूचनाएं तैयार की जाती रही। जबकि चीनी मिलों को फायदा पहुंचाने के इस प्रयास की जानकारी होने पर किसान नेताओं का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया है।

सात साल से किसी सरकार ने नहीं दी छूट

मेरठ : गन्ना समितियों को मिलने वाले कमीशन में गत सात वर्षो में किसी भी सरकार ने मिलों को कोई छूट नहीं है। न ही शुगर केन पर्चेज एक्ट में ऐसी किसी छूट का प्रावधान ही है। 1999 से लेकर सत्र 2004-05 तक प्रदेश सरकारों ने यह छूट दी थी।

कब कब दी गई छूट

वर्ष सरकार कमीशन छूट एफआरपी

1999-00 भाजपा 1.08 0.70 56.10

2000-01 भाजपा 1.08 0.70 59.10

2001-02 भाजपा 1.08 0.75 62.50

2002-03 बसपा 1.33 0.75 69.50

2003-04 बसपा 1.44 0.75 73.00

2004-05 सपा 1.45 0.75 74.50

2005-06 सपा 2.38 0.00 79.50

2006-07 सपा 2.41 0.00 80.25

2007-08 बसपा 2.44 0.00 81.18

2008-09 बसपा 2.44 0.00 81.18

2009-10 बसपा 3.90 0.00 129.84

2010-11 बसपा 4.17 0.00 139.12

2011-12 बसपा 4.35 0.00 145.00

 
  

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